Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 208
________________ * * भीमेतुन शिविरणित भीनामाकराजाशरितम् * * विवरणम:- तत:तवनन्तरम् असौ सप्तमके भवेत्रीणि इन्द्रियाणि यस्य सः श्रीन्द्रियःजीव: भूत्वा सतः पुन: अवशिष्टानि कर्माणि यस्य स: अवशिष्टकर्मा, अवशिष्टकर्मण: भाव: अवशिष्टकर्मत्वं तस्मात् अवशिष्टकर्मत्वात् अत्र अस्मिन् पुरे नगरे षदकृत्य: षड्वारं खरः गर्दभः अभवत् / / 376 // सरलार्थ:- ततः असौ सप्तमे भवे त्रीन्द्रियो जीवो भूत्वा पुन: अवशिष्टकर्मत्वात् अस्मिन् एव पुरे षहवार गर्दभः अभवत् / / 17 / / ગુજરાતી :- તારબાદ સાતમા ભાવમાં મેંદ્રિય થઇ, અવશેષ રહેલા કર્મથી પાછોછવાર આજનગરમાં ગધેડો થયો. 176 हिन्दी.. बाद में, सातवे जनम में तीन इन्द्रिय वाला जीव बन कर, शेष बचे हुए कर्मो से वापस छ: बार इसी नगर में गधा हुआ॥१७६।। मराठी :- "नंतर सातव्या जन्मात तीन इन्द्रिय जीव बन्न उरलेल्या कर्मामुळे पुन्हा वाच नगरात सहा वेळा गाढव झाला."|| 176 / / English :- Then during his seventh incarnation, he was born as a soul with just three sonses of perception and then was born six times as donkey to irraticate his remaining sins. सहस्त्रा द्वादशाऽनेन, देवद्रव्यं विनाशितम्॥ तत्कर्मशेषस्तावत्, कृत्वाऽसावीदृशोऽजनि॥१७७॥ अन्यय:- अनेन बादश सहस्त्रा देवद्रव्यं विनाशितम्। तत्कर्मशेषत: तावत् कृत्वा असौ ईदृश: अजनि॥१७७॥ विवरणम:- अनेन सिंहस्य जीवेन द्वादश सहस्त्रा देवद्रव्यं (सुवर्णमुद्रा:) विनाशितमा तम्य कर्मण: शेष: तत्कर्मशेषः, तस्मात् तत्कर्मशेषतः तावत् कृत्वा तावबारं असौ ईदृश: नीचभवोत्पन्न: अजनि जातः॥१७७॥ सरलार्थ:- अनेन सिंहस्व जीवेन द्वादशसहस्त्रसुवर्णमुद्रात्मकं देवद्रव्यं विनाशितम्। तत्कर्मविशेषात् असौ तावद्वारं नीचभवेषु अजनि // 177|| ગુજરાતી - આ સિંહના જીવે બારહજાર સોનૈયા દેવદ્રવ્યનો વિનાશ કર્યો, તે કર્મના શેષથી તે તેટલીવાર નીચ ભવમાં ઉત્પન્ન થયો छ.॥१७॥ 「嘛嘛嘛嘛嘛嘛嘛aj條輸艦摩輪輪輪輪到

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