Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust
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________________ R E E श्रीमलनुअशिविरथित धीनभाकराजासरितम् ERNET તીવ્ર વેદનાઓ સહન કરી, આયુષ્ય પૂર્ણ થતાં ત્યાંથી નીકળી તિર્યંચના ભવમાં હિંસાને વિષે તત્પર એવો સિંહ થયો. 115 न्दी:- चारोजहाज टूट जानेगे सिंह भी मर गया और पहली नर्क में चला गया। वहाँ अत्यंत तीव्र यातनाएं सहन कर के, आयुष्य पुरा होते ही वहाँ से छुटकर तिर्यच (प्राणियों की) योनि में सदा हिंसा में ही लीन ऐसा पिंह बना।।११५|| मराठी:- चार ही जहाज नष्ट झाले. त्यांच्या सोबत सिंह सुदा मरण पावला. आपल्या कर्मामुळे तो सिंह नरकात गेला आणि तेथील अत्यंत तीव्र यातना भोगत भोगत आयुष्य संपताच तेथून मोकळा झाला. पण तिर्वञ्च प्राण्यांच्या योनीमध्ये सदा हिंसेत परायण पसा सिंह बनला.।।११५|| English :- As all the four ships were destroyed, Sinh too was killed and had to go to the first hell. After having lived through dire agonies and torments, Sihe was then born in the animal world as a lion who is always rapt in causing hurt and slaying the other beings. आधम् गत्वा पुनः श्वभ्रम्, जज्ञे दुष्टसरीसृपः। द्वितीयनरकम भुक्त्वा , दुष्टपक्षी बभूव सः॥११६॥ अन्वयः- पुन: आधम् श्वभ्रम् गत्वा दुष्टसरीसृप: जज्ञे। द्वितीयनरकम भुक्त्वा स: दुष्टपक्षी बभूव।। विवरणम:- सिम्हस्य जन्मनि पुन: हिम्सादिकर्माणि कृत्वा स: पुनरपि आद्यम् प्रथमम् श्वभ्रम् नरकम् गत्वा दुष्टश्चासौ सरीसृपश्च दुष्टसरीसृप: दुष्टसर्प: जो तत्रापि हिंसादिकर्म कृत्वास द्वितीयम् नरकम् गतः। तत्र विविधा: वेदना: भुक्त्वा तत: निष्क्रम्य स: दुष्टश्चासौ पक्षी च दुष्टपक्षी बभूव सातः॥११६॥ सरलार्थ:- सिम्हजन्मन: अनन्तरम् स पुन: प्रथमम् नरकम् गत: वेदना: अन्य तत: निष्क्रम्य दुष्टसर्पः जज्ञ। ततः द्वितीयनरकम् भुक्त्वा सः दुष्टपक्षी बभूव / / 116|| -