Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 169
________________ १३६ चंदकित्तिनिवकहा जो को वि अहं कज्जेण जेण एत्थागओ तयं सव्वं । एयं निवेइयं तुहं उड्ढं तुब्भे पमाणं ति ॥४३७८।। अह आह चंदकित्तीनरनाहो खयरनाहमणिचूडं। जं किपि तुम जंपसि तमहं संपइ करेमि त्ति।।४३७९।। तो वयइ खेयरिंदो मणिचूडो दिवससत्तगेणेव । साहेयव्वा सघरे परविज्जा छेयणी विज्जा ।।४३८०।। परबलखोहणिया पुण सुन्नारन्नम्मि विसमसेलम्मि। साहेयव्वा विज्जा बहूवसग्गा तहा एसा ।।४३८१।। एक्को विज्जा साहगपुरिसो एक्कोय उत्तर-सहाओ। दोच्चिय पुरिसा तीसे विज्जाए साहणे जंति ।।४३८२।। विज्जाए कीरमाणे घोरुवसग्गे निरिक्खिउं इयरो। संखुहइ उत्तर-साहगमिच्छामि तुममेव ।।४३८३।। नियगेहगओ दिणसत्तगेण परविज्जछेयणि विज्जं । साहेऊणं तत्तो गमिस्समहममे दिवसे ।।४३८४॥ नीलंजणम्मि सेले तम्मि दिणे दिणमुहे वि तुह पासे । पेसिस्सं खयरजुयं तओ तुम झत्ति एज्जाहि ।।४३८५।। तो चंदकित्तिरन्ना भणियं नीसंसयं करेमेवं । वच्च तुमं सट्टाणे मणिचूडो भणइ तो एवं ।।४३८६।। सिरनिहियपाणिजुयलो महापसाओ त्ति संपयं अम्हे। नहमग्गेणं नेमो नियपासायं तुमं ताव ।।४३८७।। पच्छा वि गमिस्सामो निय नयरे तो नरेसरो झत्ति । उठेउं तेहिं समं गयणेण गओ सगेहम्मि ।।४३८८।। मणिचूडो खरिंदो पणमेउं चंदकित्तिनरनाहं । विज्जुसिहेणं सह खेयरेण पत्तो नियं नयरं ।।४३८९।। निय गिहगएण तो तेण तत्थ परविज्जछेयणी विज्जा । संसाहिया दिणेहिं सत्तहिं तो एत्थ पेसविया ।।४३९०।। अम्हे अज्जट्ठमवासरम्मि सूरुग्गमस्स समयम्मि। विज्जुसिहो हं तह विज्जुमालिनामो दुइज्जो य ।।४३९१। दोण्हं पि निग्गयाणं अम्ह तओ ठाणओ पुणो पच्छा। पट्टविओ तडितेओ तइओ विज्जाहरो पहुणा ।। ४३९२।। विज्जाए कारवियं रयणविमाणं इमं गहेऊण । रवि मंडलाउ अब्भहियतेयपसरेण दिप्पंतं ।।४३९३।। एवं एयं कहियं सवित्थरं सव्वमेव तुम्ह मए । सिरिचंदकित्तिरन्नो वेयड्ढे कारणं गमणे ।।४३९४।। वरमंति संपयं मे आएसं देह जेण वच्चामि । सो तेण मंतिणा तो विसज्जिओ पढिओ झत्ति ।।४३९५।। सव्वे अत्थाण जणा विज्जुसिहाओ तयं सुणेऊण । आणंदपूरियमणा पेक्खंति मुहाइं अन्नोन्नं ॥४३९६।। सीसाइं धुणेऊणं वयंति एवं अहो महाराओ। सामी अम्हाणमिमो सव्वेसिचिंतमाहप्पो ॥४३९७।। मणुयाणचितणिज्जो न एस विज्जाहरा वि जस्सेवं । सेवं अमरकुमारागारा पकरंति दास ब्व ।।४३९८१ अह रयणउरे नयरे आगमणं चंदकित्ति नरवइणो। पडिवालितो चिट्ठइ खरिदो जाव मणिचूडो ॥४३९९।। तडितेयविज्जुमालीहि संजओ ताव झत्ति संपत्तो । सो वि निवचंदकित्ती तत्थ विमाणे समारूढो ।।४४००।। ओयरियविमाणाओ पासाए जाइ जाव नरनाहो । ता उट्ठिऊण मणिचूडखेयरिंदेण सो नमिओ ।।४४०१।। अइ पहरिसेण तेण वि गाढं आलिगिओ खयरराया । एगते गंतूण सो वि तओ चंदकित्तिस्स । ।।४४०२।। रायस्स देइ विज्जाउ जाउ सिज्झंति पट्ठियमेत्ताओ। नहगामिणिपमुहाओ दो वि तओ झत्ति वच्चंति ।।४४०३।। नीलंजणम्मि सेले पत्थुयविज्जाए साहणनिमित्तं । तत्थगुहाए एक्काए दारदेसम्मि मंडलयं ।।४४०४।। काऊणं तत्थ ठिओ मणिचूडो जवइ पाणिजावेण । विज्जं एगग्गमणो नियदेहे मंतकयरक्खो ।।४४०६।। राया वि चंदकित्ती कोयंडकिवाणपाणिउवउत्तो। नासन्नम्मि न दूरे तस्स ठिओ चिट्ठइ नियंतो ॥४४०६ ।। सव्वाओ वि दिसाओ एवं गमिऊण दो अहोरत्ते । तइयम्मि दिणे आसन्नतरुवराणं फले पत्ते ।।४४०८।। सयमवि पडिए गहिऊण तेहिं दोहि पि पारणं विहियं । पच्छा पुणो वि नियनिय वावारे संठिया दो वि ।।४४०९।। अन्ने वि अहोरत्ते दोन्नि गए एवमेव निविग्घे । तइयं पि पारणदिणं तहेव अह रयणि पारंभे ॥४४०९।। भीसणवेयालाई उवसग्गा उट्ठिया महाघोरा । तो जाव नवमवासरपारंभे उग्गओ सूरो ।।४४१०।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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