Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 288
________________ सिरिमुनिसुध्वयजिणिदरियं २५५ होति महंता अणुणो गुरुणो लहुणो अदिस्सदिस्सा य । एरिससुरपरियरिओ करेइ कीलासहस्साइं ।।८२१५।। सच्छंद वियरइ काणणेसु उज्जाणदीहियाइसु य । वच्चइ कयाइ जिणजम्ममज्जणाइसु सहिदेण ।।८२१६।। तित्थयरसमोसरणाइसु जाइ कयाइ अप्पणा चेव । इय सो सुरलोयसिरि अणुहवमाणो गमइ कालं ।।८२१७।। इय सिरिमुणिसुव्वयजिणिदचरिए सिरिसिरिचंदसूरि वरइए सत्तमं अट्ठमं च भवग्गहणं समत्तं ।।छ।। सिरिमुनिसुव्वयजिणिदस्स नवमो भवो-- सत्तमओ अट्ठमओ सिरिमुणिसुव्वयजिणिदचरियम्मि । कहिओ मए भवो संपयं तु नवमं पवक्खामि ।।८२१८।। अत्थि इह भरहवासे नाणाविहसाससंपयासुहओ। देसो वच्छानामो गोमहिसाईहि अभिरामो ॥८२१९।। तत्थत्थि सुवित्थिन्ना छप्पयरिछोलिसच्छहजलोहा । जमुणानामेण नई गोवजणाणंदसंजणणी ॥८२२० ।। उत्तमअणेयरयणप्पसूइसंपत्तपरमसोहाए । मसिलेह व्व महीए चक्खुभएणं कया विहिणा ।।८२२१।। जलपाणाऽहिलासेणं उभयतडोइन्नधवलगोवग्गा । निच्चं पि जा विरायइ नवधणराइ व्व सबलाया ।।८२२२।। मज्जंतनयरनारीसरीरसंकंतहरिणनाहिरसो। परिमलगुणेण नज्जइ जत्थ गएणं जणेण लहुं । ॥८२२३।। तीसे नदीए तीरे कोसंबी नाम अत्थि वरनयरी। उत्तुंगपवरपायारपरिगया सपरिहा रम्मा ।।८२२४।। नीसेसनयरसोहागुणोहकलिया कया पयावइणा । अमरपुरीपडिछंदयदंसगहेउं व मणुयाण ॥८२२५।। मणिपासायपणासियतमसाए सया वि जत्थ रयणी।। कुमुयस रोयवणाणं वियासनिद्दाहिं नज्जति ।।८२२६।। जत्थ य पाउससमए तुंगयरनिकेयणग्गसिहरेहि । कयछिड्ड व्व जलहरा किरंति घणवारिधाराओ ।।८२२७।। हेमंतसिसिरसमए वि जत्थ दिणनाहमणिमयगेहेसु । रविकरपंसुग्गय सिहिकणोहसंजणियउण्हेसु ।।८२२८।। निवसंता नायरया निदाहसमओवयारमणुरत्ता । दियहेसु हवंति विमुक्ककुंकुमुव्वट्टणातीया ।।८२२९।। ससिकंतमयगिहेसु निसासु चंदंसुसंगसजलेसु । गिम्हे वि जत्थ पाउससिरि व मण्या अणुहवंति ।।८२३०।। तं परिवालइ नरि राया रायन्नवंससंभूओ । सुमुहो नामेण च्छणमयंकमंडलसमाणमुहो ।।८२३१।। जो सुरस्स पयावं ससिणो सोमत्तणं मइं गरुणो । रूवं पुरंदराओ परक्कमं पंचवयणाओ ।।८२३२।। गंभीरत्तं वरसागराओ फलिहोवलाओ विमलत्तं । तेयं मणीण गहिऊण नूण विहिणा विणिम्मविओ॥८२३३।। जो बहरहियाण बलं सरणमसरणाण निद्धणाण धणं । देइ सुहं दुहियाणं होइ सुबंधू अबंधूण ।।८२३४।। गुरुबालवुढ्डनारीजतिजणपरिवालणं पयत्तेण । जो कुणइ निओ जणओ व्व रंजणं तह पयाणं च ।।८२३५।। नयविक्कमपरिकलियं इय रज्जं तस्स पालयंतस्स । समइक्कतो कालो को वि हु रइसुहनिमग्गस्स ।।८२३६।। अह अन्नया कयाई अत्थाणगयस्स तस्स नरवइणो । पडिहारेणागंतुं विन्नत्तं मउलियकरेण ॥८२३७।। उज्जाणवालपुरिसो देव ! बहिं चिट्ठए दुवारस्स । अह रन्नो वयणेणं पवेसिओ तेण तो झत्ति ।। ८२३८।। सो वि नमिऊण निवई विन्नवए देव ! जह तुहुज्जाणे । आगंतूणं दिन्नो महुलच्छीए समावासो ।।८२३९।। तथा हि--दिन्नसहयारसाहामंजरिपरिभोयपउरवित्तीयं । कलयंठिकुलं कलकुइएहि कहइ व्व लोयस्स ।।८२४०। कालपरिणामरन्ना विइन्नरज्जा जयम्मि महलच्छी। इण्हि ता एईए सव्वो वि जणो कुणउ सेवं ।। ८२४२।। हरिऊण हढेण पियंगुलोद्दपमुहाण काणणतरूण । कुसुमसमिद्धी अंकुल्लमल्लियाईसु संठविया ।।८२४२।। चिरमणुह्यं पि हुयासणस्स हरिऊण अंगसोहग्गं । तप्पडिवक्खम्मि जलम्मि झत्ति संचारियमिमीए ।।८२४३।। निद्दहिऊणं सिसिरेण फेडिया आसि जाओ नलिणीओ। तासि पुणो विदिन्ना सिरीविलासा महुसिरीए ।।८२४४।। उल्लसिरलहरिसरिसरवरेसु काऊण मज्जविहाणं । सुरहितरकुसुमसंगमसंजणियमणुन्नसोरभा ।।८२४५।। दाहिणदिसापवाया तीए सहाया वि अखलियप्पसरा । वियरंति भुवणवलए सेविज्जंता विलासीहिं ।।८२४६।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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