Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 287
________________ सिरिवम्मकुमारदेवस्मभवो तत्थ य पहरणकोसं चोप्पालं नाम पूयइ तहेव । तयणु सुहम्मसहाए नीहरइ पयाइ सम्मुहओ ।।८१८३।। उववायरस सहाए तीसे गंतूण दाहिणे दारे । तत्थ सुहम्मसहाए गमेण पूयं कुणइ सव्वं ॥८१८४।। तत्तो पुरिथिमिल्लं नंदापुक्खरिणिमेइ तीसे वि । तोरणगतिसोमाणगपडिरूवे पूयइ तहेव ।।८१८५।। हरए वि कुणइ एवं अहिसेयसहाए वच्चए तत्तो। मणिपेढीसीहासणपमुहं तत्थ वि तहऽच्चेइ ।।८१८६।। तत्तो पुरथिमिल्लं नंदापुक्खरिणिमच्चइ तहेव । तयणु अलंकारसहं अहिसेयसहाविहाणेण ।।८१८७।। तो ववसायसहाए उवेइ तत्थ वि य लोमहत्थेण । पोत्थयरयणं परिमज्जिऊण दिव्वंबुधाराए ।।८१८८।। धोयइ पवरेहि तओं पूयइ कुसुमेहि सुरहिगंधेहिं । उग्गाहेइ य धूवं कालागुरुकंदुरुप्पभवं ।।८१८९।। मणिपेढियं च सीहासणं च तत्तो पमज्जणापुव्वं । धूवुग्गाहणपज्जंतमच्चए वच्चए तयणु ।।८१९०।। पुविल्लाए नंदापुक्खरिणीए तमेव तत्थ वि य । काउं बलिपेढीए गंतूण बलि विसज्जेइ ।।८१९१।। अह सो सिरिवम्मसुरो सद्दावित्ताभिओगिए देवे । आइसइ जहा भो भो देवाणुपिया! लहुं तुब्भे ।।८१९२।। विमलप्पभे विमाणे इमम्मि सव्वत्थ तियचउक्केसु । सिवाडगेसु चच्चरचउम्मुहेसुं महपहेसुं ।८१९३॥ पागारेसुं अट्टालएसु चरियासु गोपुरेसुं च । उज्जाणेसु वणेसु य वणराईसु य कुणह पूयं ।।८१९४।। इय तेण ते पभणिया आणंदसुनिब्भरा तओ गंतुं । सव्वं पि तहा काउं आगंतुं तस्स' साहेति ।।८१९५।। अह सो पुक्खरिणीए गंतु काऊण करचरणसोयं । तत्तो निग्गंतूणं एइ सहाए सुहम्माए ॥८१९६।। सामाणिया (इ) सुरनियरपरिगओ तूरमंगलरवेण । पुग्विल्लदुवारेणं पविसेऊणं सुहम्मसहं ।।८१९७।। सीहासणे निसीयइ पुवदिसाअभिमुहो तओ तस्स । अवरुत्तरेण तह उत्तरेण उत्तरपुरत्थिमओ ।।९१९८।। चउरो साहस्सीओ सामाणियसुरवराण चउसु पि । रयणमयाणं सीहासणाण सहसेसूवविसंति ।।८१९९।। दाहिणपुरत्थिमेणं अभितरपरिसा संभव सुराण। उवविसइ दिवड्ढसयं मणिमयसीहासणेसु तओ ।।८२००।। अड्ढाइज्जसयाई दाहिणदिसिमज्झपरिसदेवाणं । पच्चत्थिमदाहिणओ बाहिरपरिसाए देवाणं ।।८२०१।। चत्तारि सयाई मणिमएसु सीहासणेसुवविसंति । पच्चत्थिमेण सत्त उ अणीयवइणो निसीयंति ।।८२०२।। चउसु वि दिसासु तत्तो पत्तेयं आयरक्खदेवाणं । चउरो चउरो सहसा सोलस मिलिया उ सवेसि ।।८२०३।। चिट्ठति सया सन्नद्धबद्धकवया पिणद्धगेवेज्जा । आविद्धविमलवचिधपट्टया आउहकरग्गा ।।८२०४।। तिणयाई संधियाइं धणूणि वरवइरघडियकोडीणि । करकलियाइं वहता कंठकलावं च निसियमुहं ।।८२०५।। वम्मकर खग्गकरा पासकरा केइ गहियदंडकरा । रक्खोवगया गुत्ता विणएणं किंकरसमाणा ।।८२०६।। एवं इंदो व्व इमो सहानिविट्ठो सुरेहिं परियरिओ। बत्तीसपत्तबद्धं पेच्छइ नाडयविहि विविहिं ॥८२०७।। तस्स परिवारदेवा मणिमयमउडेहि दिप्पमाणसिरा। चूडामणिमंडियमत्थया य वित्थरियकतिल्ला ।।८२०८।। कनंतरुइरमणिमयकुंडलविणिहिज्जमाणगंडयला । कंठट्ठियवणमाला वच्छत्थललुलियहारलया ।।८२०९।। नाणामणिकंकण-कडय-तुडिय-केऊरथंभियभुयग्गा । पजलंतमुद्दियाजालकलियसयलंगुलीनिवहा ।।८२१०।। रयणकडिसुत्तयासत्तमल्लदामा नियत्थवरवत्था । गोसीसचंदणकयाणुलेवणा सुरहिनीसासा ।।८२११।। आजम्मं रोयजरामलसेयविवज्जिया विमलदेहा । थिरतारुन्ना अणिमिसनयणा मणसाहियत्था य ।।८२१२।। वामकरंगुलिरहनहमुहेसु पंचसु वि पंच सुरगिरिणो । लीलाए च्चिय आरोवयंति सयवत्तपत्तं व ।।८२१३।। उच्छालेति समुढे भामेति य भूमिमंडलं गयणे । इच्चाइ अणेयपयारसत्तिणो कामरू वा य ।।८२१४।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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