Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 314
________________ सिरिमुनिसुव्वयजिणिदचरियं २८१ वेउव्वियं विमाणं इमस्स पन्नासजोयणसहस्सा। जोयणसयाइं पंच उ नायव्वो पुण महिंदझओ ।।९०५४।। अभिओगिओ उ देवो विमाणनिम्मावगो मणेयव्वो। सेसं तं चिय जा मंदरम्मि गंतुं समोसरइ ।।९०५५।। एवं चिय असुरिंदो बली वि नवरं तु सट्ठिसहस्साइं । सामाणियदेवाणं चउग्गुणा आयरक्खा उ ।।९०५६।। पायत्ताणीयस्स उ महादुमो नाम अहिवती नेओ । महओघसरा घंटा सेसं तं चेव विन्नेयं ।।९०५७।। अह नागकुमाराणं इंदो धरणो त्ति सो वि तह चेव । नवरं नाणत्तमिणं छस्सामाणियसहस्सा उ ।।९०५८।। मेहस्सरा य घंटा पायत्ताणीयअहिवई नेओ । नामेण रुद्दसेणो पणुवीसं जोयणसहस्सा ।।९०५९।। होइ विमाणं अढ्डाइज्जाइं सयाइं पुण महिंदझओ। सेसाण वि एवं चिय इंदाणं भवणवासीणं ।।९०६०।। असुरिंदवज्जियाणं नवरं असुराण ओघसरघंटा । नागाणं मेघसरा होइ सुवन्नाण हंससरा ।।९०६१।। विज्जणं कोंचसरा घंटा अग्गीण होइ मंजसरा। घंटा य मंजघोसा दिसाकुमाराण विनेया ।।९०६२।। सूसरघंटा उदहीण होइ दीवाण महरसरघंटा। वाऊणं णंदिसरा थणियाणं णंदिघोसा उ ।।९०६३।। चउसट्ठी सट्ठी व खलु छ च्च सहस्सा उ असुरवज्जाणं । सामाणिया य एए चउग्गुणा आयरक्खा उ ।।९०६४।। पायत्ताणीयाणं अहिवइणो रुद्दसेणनामाणो । जम्माण मुईणाणं हवंति नामेण नंदक्खा ।।९०६५।। धरणे य वेणुदेवे हरिकतेऽग्गिसिहपुन्नजलकता। अमियगती वेलंबे घोसे नव दाहिणदिसिदा ॥९०६६।। भूयाणंदो तह वेणुदालिनामो हरिस्सहो तइओ। तह अग्गिमाणवो तयणु पंचमो हवइ हु वसिट्टो ।।९०६७।। जलपहमियवाहणया पहंजणो नवमओ महाघोसो। नागाइनिकायाणं एए नव उत्तरदिसिंदा ।।९०६८।। चमरबलिप्पमुहाणं सव्वेसि भवणवासिइंदाण। अभिओगिया य देवा विमाणनिप्फायगा नेया ।।९०६९।। वंतरजोइसिया वि हु नेयव्वा एवमेव नवरं तु । चउसामाणियसहसा चउरो पुण अग्गमहिसीओ ।।९०७०।। सोलससहसा तणुरक्खयाण जोयणसहस्सपरिमाणं । होइ विमाणं जोयणपणवीससयं महिंदझओ।।९०७१।। वंतरपिसायभया जक्खा तह रक्खसा य नायव्वा । किन्नरकिंपुरिसमहोरगा य गंधव्व अट्ठमया ।।९०७२।। कालसुरूवा तह पुन्नभद्दभीमा य किन्नरो तह य । सप्पुरिसो अइकाओ गीयरई चेव अट्ठमओ ।।९०७३।। एएसिं अट्ठण्ह वि दाहिणदिसिवाणमंतरिंदाण । मंजसराओ नामेण होति घंटाओं नेयाओ ॥९०७४।। महकालो पडिरूवो होंति तहा माणिभदृमहभीमा। किंपुरिसमहापुरिसा महकाओ तह य गीयजसो।।९०७५।। एएसि अट्ठण्ह वि उत्तरदिसिवाणमंतरिंदाण । घंटाओ नेयाओ नामेणं मंजुघोसाओ ॥९०७६॥ पायत्ताणीयाण अहिवइणो तह विमाणकारी य । जम्माण उईणाण य हवंति अभिओगिया देवा ।।९०७७।। जोइसियसुरिंदाणं घंटाओ होंति सुस्सरनिघोसा। सेसं तं चिय जा मंदिरे जिणं पज्जुवासंति ।।९०७८।। अह अच्चुयदेविदो सद्दावित्ताभिओगिए देवे । इय आइसइ जहा भो देवाणुपिया ! दुयं तुब्भे ।।९०७९॥ सुमहग्घमतिमहत्थं सुपसत्थं सव्वजयकयाणंदं । नित्थयरऽभिसेयम वढवेह विउलं महरिहं च ।।९०८०।। नियपहु लद्धाएसा तओ इमे हरिसऊस सियहियया । सिरनिहियमउलियकरा आणं विणएण पडिसुणि।९०८१। उत्तरपुरस्थिमं तह दिसिभागमवक्कमित्त बेउवियं । काऊण समग्घायं कलसाणं कंचणमयाणं ।।९०८२।। अट्ठोत्तरं सहस्सं तह रुप्पमयाण मणिमयाणं च । रुप्पसुवन्नमयाणं तह कंचणमणिमयाणं च ।।९०८३।। तह रुप्पमणिमयाणं तहेव मणिरुप्पक चणमयाणं। भोमेज्जाणं च तहा कलसाण सहस्समदहियं ।।९०८४।। तह चंदणकलसाणं भिगाराणं तहेव थालाणं । सूपइट्टाणं आयंसगाण पाईण तह चेव ।।९०८५।। चित्ताणं रयणकरंडगाण जा सव्वपुप्फपडलाणं। सीहासणाण छत्ताण चामराणं च तह चेव ।।९०८६।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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