Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिमुनिसुव्वयजिणिदचरियं
३२६ होइ चउत्थीए पुणो केवलमायंबिलेण पारणयं । इय होंति पंचमासा दुमास अडवीस दियहाई ।।१०५९९।। कणगावलि व्व रयणावली वि नवरं इमं तु नाणत्तं । दाडिमगदुगे पयगे नेयाइं अट्ठमाइं तु ॥१०६००।। मुत्तावलि त्ति नाम होइ तवो तस्स भन्नइ सरुवं । पढमं पि चउत्थभवं तत्तो छठें पुण चउत्थं ।।१०६०१।। तो अट्ठमं चउत्थं दसमचउत्थं दुवालसं एवं । एगुत्तरबुड्ढीए तवं चउत्थेण अंतरियं ।।१०६०२।। ता नेयं जा सोलस उववासा पढममद्धमिइ जायं । दुइयं पि अद्धमेवं नवरं पडिलोमनाएण ।।१०६०३।। सोलस उववासातो चउत्थमह होंति पनरसुववासा। तयगु चउत्थं चउदस उववासा इय चउत्थेण ।।१०६०४।। अंतरियं ताव तवो नेयं एगुत्तराए हाणीए । दो उववासे काउं जाव चउत्थं कुणइ अंते ।।१०६०५।। इह तव दिणाण संखा तिन्नि सए पारणाण सट्ठि दिणा । उभयं वासमिमा वि हु पारणभेया भवे चउहा।।१०६०६।। इन्हि तु सीहकीलियतवो दुहा खुड्डओ महल्लो य । पुज्जेहि तम्मि अट्ठे कयाओ गाहाओ भन्नति ।।१०६०७।। एक्को दो एक्को वि य उववासा तिन्नि दोन्नि चउरो य । तिन्नि य पंच य चउरो छ पंच सत्तेव उववासा।।१०६०८।। छच्चेव अट्ठसत्त य नव उववासेहि होइ पढमलया। अट्ठ नव सत्त अट्ठ य छ सत्त पण छच्च चउरो य।।१०६०९।। पण तिन्नि चउर दोन्नि य तिन्नेगो दोन्नि एग उववासा। पढमलया विवरीया अट्टहिया होइ बीयलया।।१०६१०।। चउपन्नसयं च तवोदिणाण इह पारणाइं तेत्तीसं । छहिं मासेहिं सत्तहि दिणेहिं वच्चइ समग्गमिणं ।।१०६११।। एसो खुड्डागो सीहकोलिओ साहिओ तवविसेसो । इन्हि तु महल्लयरं एवं चिय संपवक्खामि ।।१०६१२।। • एक्को दो एक्को वि य तिन्नि दुवे चउरतिन्नि पण चउरो । छच्चेव पंच सत्त य छ अट्ठ सत्तेव नव अट्ठ ।।१०६१३।। दस नव एक्कारस दस दुवालसंक्कारसव तरस य । बारस चउदस तरस पनरस चउदस य सोलसगं ।।१०६१४।। इय पढमलयं काउं तत्तो पनरस कुणइ उववासे । पढमलयं चिय तत्तो विवरीयं सोलसाईयं ।।१०६१५।। पज्जते उववासं करेंति इय होंति पिडियाइं इहं । चत्तारि तव दिणाणं सयाइं सगनउय अहियाई ॥१०६१६।। इगसटुिं पारणया सव्वेगत्तेण वरिसमेगं च । छम्मास। अट्ठारसदिणाई दुविहं पि तवमेयं ।।१०६१७।। खुड्डलयं पि महल्लं पत्तेयं होइ चाहिं भेएहि । पुनपरूवियपारण चउव्विहत्तेण विन्नेयं ।।१०६१८।।
अथ भद्रतपः एक्क दुग तिनि चउरो पंचुववासेहि होइ पढमलया। तिन्नि चउ पंच एक्को उववासदुगेण बीयाओ ।।१०६१९।। पण एक्क दोन्नि तिन्नि य उववास चउक्कएण तइयलया। दो तिन्नि चउर पंच य एकुववासो चउत्थलया पंचमलयाए चउरो पण एक्कग दोन्नि तिन्नि उववासा। पणसत्तरि उववासा सव्वे पणवीसपारणया ॥१०६२१॥
___ अथ महाभद्रतपः एक्कग दुग तिग चउरो पंच छ सत्तोववास पढमलया। चउपंच छ सत्तेगो दो तिण्णुववास बीयाओ ॥१०६२२।। सत्तेग दोन्नि तिन्नि य चउपणछहिं चेव होइ तइयलया। तिग चउर पंच छच्चय सत्तेग दुवे चउत्थीओ।।१०६२३।। छच्चेव सत्त एक्को दुगतिग चउपंचगेहिं पंचमिया । दुगतिग चउपण छच्च य सत्तेक्कगएहिं छट्ठीओ।।१०६२४।। पणछच्च सत्त एक्कग दुगतिग चउरोववास सत्तमिया। छन्नउयसयं इह तव दिणाण अगुपन्नपारणया।।१०६२५।।
अथ भद्रोत्तरतपः पंचग छ सत्त अट्ठ य नवोववासेहिं होइ पढमलया । अट्ठनव पंच छच्चय सत्तुववासेहिं बीयाओ ।।१०६२५६।। छच्चेव सत्त अट्ठ य नव पंचहि चेव होइ तइयलया । नव पंच छ सत्तट्टहिं उववासेहिं चउत्थीओ ॥१०६२७।।
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