Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिमुनिसुव्क्यजिणिदचरियं सव्वण्णुणो वि वाणी तह सोयाराण परिणमइ हियए । समकालजायनियनियसंजयवोच्छेयगत्तेण ॥९६९०।। साहारणतणेणं अणन्नसरिसत्तणेण य गुणेण । अत्थगमगत्तणेण य उवओगो चेव जिणवयणे ।।९६९१।। अइसयसुइसुहजणगत्तणेण वयणं जिणस्स निसुणंतो। निन्विज्जइ न य सोया थेरी दासि व्व वणियस्स।।९६९२।। दासी वणिणो एगस्स आसि थेरी गया य सा गोसे । कट्ठाणमागया छुइतन्हभिभूया य मज्झन्हे ।।९६९३।। अइथेव च्चिय कट्ठा आणीया तीए तेण पिट्टित्ता । कट्ठाणं पट्टविया पुणो वि सा भुक्खिया तिसिया ।।९६९४।। गहिऊण कटुभारं गरुयं सा तइयपहरपज्जते । विणियत्ता आगच्छइ काले जेटुस्स मुलम्मि ।।९६९५।। अह कटुभारयाओ एणं कठे महीयले पडियं । तो तीए ओणमित्ता कहंचि तं जाव संगहियं ।।९६९६।। ता तम्मि चेव समए अरहा धम्मं कहेउमाढत्तो। अमयं व सुयंतेणं आजोयणपसरियसरेण ।।९६९७।। थेरी उ तं सुणंती तह चेव य ओणया ठिया तत्थ । छुहतिसउन्हपरिस्समदुहं न सा कि पि वेएइ ।।९६९८।। सूरत्थमणावसरे धम्म कहिऊण उट्ठिओ अरहा । थेरी वि गया सगिहं इय जिणवाणीए सोहग्गं ।।९६९९।। सव्वाउयं पि सोया गमेज्ज सययं जिणो जइ कहेइ । सीउन्ह खुहपिवासापरिस्समदुहाई अमणंतो ।।९७००।। गामनगरागराइसु विहरइ ठाणेसु जेसु जिणनाहो । तत्तो ठाणेहितो कहेति गंतूण जे वत्तं ।।९७० १।। तेसिं नराण वित्तीए देइ चक्की सुवन्नलक्खाइं । बारसपन्नाससहस्ससमहियाइं वरिसमज्झे ।।९७०२॥ तत्थेव य तित्थयरं समागयं कहइ को वि जइ तत्तो। एगस्स वि तस्स निउत्तगस्स इयरस्स वा चक्की ।।९७०३।। अद्धत्तेरसकोडीओ देइ कणयस्स परमपीईए । एवइयं चिय रययं तु वासुदेवा पयच्छंति ।।९७०४।। मंडलिया उण रययस्स देति सहसाइं अद्धतेरस उ। वित्तीए पीईए तावइयाइं तु लक्खाइं ॥९७०५।। देवाणुयत्तिभत्तीपूया थिरकरणसत्तअणुकंपा। साओदय - दाणगुणा पभावणा चेव तित्थस्स ॥९७०६।। जत्थ समोसरइ जिणो नयराइसु तत्थ नरवई अहवा । तस्स अमच्चो तम्मि वि अविज्जमाणे पुरजणाई।।९७०७।। दुब्बलियकंडियाणं वलवंतीए तहेव छडियाणं । कलमाण तंदुलाणं पट्टवियाणं परगिहेसु ।।९७०८।। तेहि वि फलगेसु पसारिऊण एक्केक्कएण गहियाण । तत्तो पुणाणियाणं अक्खंडाणं अफुडियाण ।।९७०९।। पुग्नं आढगमेगं कारेइ बलि तओं य सिद्धम्मि। तत्थेव य देवा पक्खिवंति वरसुरहिगंधाई ।।९७१०।। तत्तो सो रायाई गहिऊणं तं बलि सुरगणेहि । परियरिओ नाणाविहतूरनिनाएण अइमहया ।।९७११।। आगम्म समोसरणे पुव्वद्दारेण पविसइ तओ य । अब्भितरपागारंतरं पविठे बलिम्मि जिणो ॥९७१२।। धम्मकहणाउ विरमइ अह सो रायाइयाण अन्नयरो। बलिहत्थगओ देवेहि परिवुडो चेव तित्थयरं ।।९७१३।। तिक्खुत्तो काऊणं पयाहिणं तस्स पायमूलम्मि । निसिरेइ तं बलि तो तस्सऽद्धं अवडियं देवा ।।९७१४।। गिन्हंति तओ सेसऽद्धस्स वि गिन्हेइ अहिवई अद्धं । सेसं चउत्थभागं गिन्हइ पागयजणो सव्वं ।।९७१५।। तीसे बलीए सित्थं दिज्जति कस्स वि य मत्थए जस्स । तस्स सहसत्ति पुव्वुप्पन्नो वाही पणस्सेइ ।।९७१६।। अन्नो उ अणुप्पन्नो उप्पज्जइ नेय जाव छम्मासा। एसो उ बली पविसइ पज्जते पढमपहरस्स ॥९७१७।। पक्खित्ताए बलीए तत्तो ठाणाओ उट्ठिऊण जिणो। अब्भितरपागारस्स उत्तरेणं दुवारेण ।।९७१८।। निग्गंतूण दिसाए पुवाए देवछंदए गंतुं। ठायइ सममाहीए तत्तो पहरस्स उवरिम्मि ।।९७१९।। सामिम्मि उट्ठियम्मी जेट्ठो अन्नयरओ व गणहारी। राओवणीयसीहासणे ठिओ पायवीढे वा ॥९७२०।। बीयाए पोरिसीए धम्म परिकहइ सव्वपरिसाए। पहुणो खेयविणोओ सीसगुणुद्दीवणा तह य ॥९७२१।। जह तित्थयरो कहए कहइ तहा गणहरो वि निभंतं । पव्वइयाण गिहीण य एरिसओ पच्चओ होइ ।।९७२२।।
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