Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 313
________________ २८० सिरिमुनिसुव्वयजिनजम्मवण्णणं अवसेसा सव्वे वि हु देवा देवी य दाहिणिल्लेण । पच्चवरोहति तिसोवाणगपडिरूवगेणेव ॥९०२१।। अह सक्को देविदो सामणियसुरसहस्सचुलसीए। सेसेण य सव्वेणं सुरपरिवारेण परियरिओ ॥९०२२।। सव्विढ्डीए जाव य दुंदुहिनिग्घोसनाइयरवेण । जेणेव य तित्थयरो भयवं तित्थयरजणणी य ॥९०२३।। तेणेव उवागंतु आलोए चेव झत्ति पणमेइ । पणमित्ता आयाहिणपयाहिणं कुणइ तिक्खुत्तो।।९०२४।। करयलपरिग्गिहीयं तत्तो काऊण अंजलि सीसे। एवं वयइ जहा ते नमोत्थु कुच्छीधरियरयणे ! ॥९०२५। इच्चाइ दिसिकुमारीगमेण संथणइ ताव जिणजणणीं । पज्जते हवइ इमं जाव पयं तं सि सुकयत्था ।।९०२६।। तो पयडइ अप्पाणं देवाणुपिए ! तिलोयनमणिज्जे ! । सक्को नामेण अहं देविदो देवगणराया ।।९०२७।। तित्थयरस्स भगवओ जम्मणमहिमं पसाहइस्सामि । तत्तो महाणभावे तुब्भाहिं न भाइयव्वं ति ॥९०२८॥ भणिउं जिणजणणीए दाउं अवसोयणि विउव्वेउं । तित्थयरप्पडिरूवं तीसे पासम्मि ठावेउं ।।९०२९।। पंच विउव्वइ सक्के एक्को सक्को तओ उ आयंतो । चोक्खो परमपवित्तो होऊण विलित्तकरजुयलो ।।९०३० गोसीसचंदणेणं सरसेण सुगंधिणा कयपणामो। अणुजाणइ मे भयवं! ति कटु भगवंतमरिहंतं ।।९०३१।। करयलउडेहिं गिण्हइ ससंभमो सहरिसो तयणु एक्को । सक्को अणुमग्गगओ छणिंदुमंडलसमसिरीयं ।।९०३२ धरइ धवलायवत्तं उवरि जिणिदस्स दोन्नि सक्का उ । पासेसु चामरे उक्खिवंति ससिकुंददलधवले ।।९०३३।। एक्को सक्को पुरओ करयलकलिएण कुलिसडंडेण । अणुकढ्डइ इय एवं सक्को अन्नेहि वि बहूहिं ।।९०३४।। भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिएहिं देवेहिं । देवीहि य परियरिओ जाव महादुंदुहिरवेण ।।९०३५।। ताए उक्किट्ठाए देवगतीए य चंडचवलाए। जेणेव मंदरगिरी पंडगवणमंडियसिरग्गो ॥९०३६।। जेणेवाहिसेयसिलाए अत्थि सीहासणं रयणरुइरं । तेणेव उवागंतुं पुव्वाभिमुहो निसीएइ ॥९०३७।। अह ईसाणे कप्पे सूलहरो वसहवाहणो इंदो। उत्तरलोगढ्डपहू अरयंबरवत्थधारी य ॥९०३८।। इच्चाइ जहा सक्को तह इंदा सेसया वि भणियव्वा। जावऽच्चुयकप्पिदो नेयमिणं नवर नाणत्तं ।।९०३९।। बत्तीसट्टावीसा बारस तह अट्ट चउसयसहस्सा। पन्ना चत्त छ सहसा सय चउ ति कमा विमाणाणं ।।९०४०।। चुलसी असीइ बावत्तरि सत्तरि सट्टिय पन्न चत्ताला । तीसा वीस दसेण य कमेण सामाणियसहस्सा ।।९०४१।। पालय पुप्फय (ति) सोमाणसा य सिरिवच्छनंदियावत्ता । कामगमे पीइगमे मणोरमे विमलनामे य ।।९०४२।। तह होइ सव्वओ भहनामओ सक्कमाइयाण इमे। कप्पिदाण दसन्ह वि विमाणनिम्मावगा नेया ।।९०४३।। आइमतईयपंचमसत्तमनवमाण कप्पइंदाण । हरिणेगमेसिनामा पायत्ताणीयअहिवइणो ॥९०४४।। घंटा सुघोसनामा निज्जाणयहो हवेज्ज उत्तरओ। दाहिणपुरथिमिल्लो रइकरगो पव्वओ होइ ।।९०४५।। दोच्चचउत्थच्छट्ठट्ठमदसमाणं तु कप्पइंदाण । पायत्ताणीयवई नामेणं लहु परक्कमओ ॥९०४६।। घंटा य महाघोसा निज्जाणपहो हवेज्ज दक्खिणओ । उत्तरपुरथिमिल्लो रइकरगो पव्वओ नेओ॥९०४७।। ईसाणिदाईणं अच्चुयकप्पाहिवावसाणाणं । आसणकंपाईयं सक्कस्स व सव्वमिह नेयं ॥९०४८।। सव्विढ्डीए गंतूण मंदरे जाव पज्जुवासंति । नवरं जिणिदजम्मणघरगमणाई न भणियव्वं ।।९०४९।। अह चमरो असुरिंदो सरायहाणीए चमरचंचाए । सोहम्माए सहाए चमरे सीहासणम्मि ठिओ ।।९०५०।। चउसट्ठीए सामाणियाण सहसेहिं तायतीसेहिं । तेत्तीसाए देवेहिं चउहि तह लोगपालेहिं ।।९०५१।। अग्गमहिसीहिं पंचहि परिवारजुयाहिं तिहिं उ परिसाहिं । सत्तहिं उ अणीएहि अणीयहिवईहिं सत्तहिं उ ।५२। अन्नेहि य परियरिओ जहेव सक्को इमं तु नाणत्तं । पायत्ताणीयवती दुमो य घंटा य ओघसरा ।।९०५३।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376