Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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२२०
सिरिवम्मकुमारचरियं
गंतूणं वरदत्तेण साहिए एरिसे कुमरवयणे । वासवदत्तेणं तत्थ पेसिया तो वसंतसिरी ॥७०६९।। तीसे उवरोहेणं सिरिवम्मेणं इमम्मि पडिवन्ने । राया गणए हक्कारिऊण लग्गं गणावेउं ।।७०७०।। सिरिवम्मसमीवाओ परिणावइ अट्टगं पि कन्नाणं । गोधूलियवेलाए अइगरुयाए विभूईए ।।७०७१।। अन्ने वि तिन्नि दियहे गमइ विवाहूसवेण नरनाहो । अह सिरिवम्मकुमारो गुलखेडपुरे व्व तत्थ पुरे ॥७०७२।। एक्कारसहिं दिणेहि सव्वेसु वि जिणहरेसु न्हवणाई । रहजत्ताई निव्वत्तिऊण निव्वुयमणो जाओ।॥७०७३।। नवहिं कलत्तेहि समं पंचपयारे वि माणुसे भोए । भुंजतो संचिट्ठइ सुदंसणाईहिं कयसेवो ॥७०७४।। अह अन्नदिणे वासवदत्तनरिदं निसन्नमत्थाणे । विन्नवइ जोडियकरो पडिहारो देव ! दारम्मि ।।७०७५।। नामेण आसराओ तुरंगदमगो समागओ अत्थि । को तस्स समाएसो भणइ निवो लहु पवेसेहि ॥७०७६।। पडिहारेण विमुक्को पविसेउं सो वि पणमिऊण निवं । जोडियकरो निविट्ठो उचियट्ठाणे निवइसमुहो।।७०७७।। तो आह तं नरिंदो समप्पिओ आसराय ! तुह जइया । पढमं मए तुरंगो सारंगो नाम सारंगो ।।७०७८।। तुज्झ तया आएसो आसी किर एरिसो मए दिन्नो । वाहणविहिनिप्फन्नं काऊण तुरंगमं एयं ।।७०७९।। बहुहेहिं वि दियहेहि मए समं सणं तुमं कुज्जा । ता कि तए तह च्चिय तं विहियं अज्ज वि न किं वा ।। तो आह आसराओ देवाएसं किमन्नहा को वि । कुणइ नरो कल्लाणं जो इहई अत्तणो भुवणे ॥७०८१॥ अह वासवदत्तनिवो पुणो वि तं पभणए मए तुज्झ । अहणा कत्तियमासे समप्पिओ अज्ज वि तुरंगो।।७०८२।। ता अट्ठमे वि मासे कह सिक्खं गाहिओ तए एसो। तो सिरिवम्मकुमारो नरिंददाहिणदिसिनिसन्नो ॥७०८३।। विनवइ निवं जह देव ! घडइ एवं पि उभयसंजोगे । जइ भव्वजाइ तुरओ वरसिक्खावगकरे चडइ ।।७०८४।। उत्तमजाई तुरओ पयईए चेव होइ सुविणीओ । तस्सासदमगपुरिसो निमित्तमेत्तं परं होइ ॥७०८५।। जम्हा मुणिऊण मणं आसारोहस्स सो पयट्टेइ । सिक्खाए सिग्घं चिय होइ तओ तस्स न पयासो ॥७०८६।। आसदमओ वि मइमं तुरयसरूवं वियाणिऊण तओ। तह तह गाहइ सिक्खं जह गिन्हइ तं इमो सिग्छ ।।७०८७।। ता एत्थ थेवकालत्तणेण मा कुणह विम्हयं किं पि । तुब्भे पासह तुरयं वाहिज्जंतं इमेणेव ॥७०८८।। पच्चक्खम्मि पयत्थे पुच्छिज्जंतो करेइ कि सक्खी। पाणिम्मि निबद्धे कंकणम्मि कुणइ व किमायंसो?॥७०८९।। वासवदत्तनरिंदो सिरिवम्मकुमारजंपियं एयं । सोउं साहिप्पायं उट्ठइ सीहासणाहितो ।।७०९०।। सिरिवम्म पि कुमारं हक्कारइ अप्पणा समं तत्तो। आइसइ आसरायं हयदमगं जह इमो गंतुं ॥७०९१।। पल्लाणावेऊणं सारंगतुरंगमं तओ तम्मि । सयमारुहिऊण तुमं एज्जह हयवाहियालीए ॥७०९२।। इय तं भणिऊण तओ एगाए करेणुगाए आरुहिउं । सह सिरिवम्मेण सयं वच्चइ नयरस्स वाहिम्मि ॥७०९३॥ हयवाहियालिथडए गंतूणं तत्थ उत्तरइ तत्तो । सहयारासोयसमाणसाहिसाहाकयच्छाए ॥७०९४।। सीहासणे निसीयइ नियदाहिणबाहुदंडआसन्ने । सिरिवम्म उववेसइ विभिन्नदिन्नासणे पवरे ॥७०९५।। तत्थ कुमारेण समं कहाउ परिओसवुड्ढिजणणीओ। वासवदत्तनरिंदो खणमेगं काउमाढत्तो ॥७०८६।। अह सो वि आसराओ लद्धाएसो नरिंदपासाओ । पल्लाणियं तुरंग सारंगं आरुहेऊण ॥७०९७।। विखाए विखाए (?) पत्तो हयवाहियालि देसम्मि । ओइन्नो दिट्ठिपहे वासवदत्तस्स नरवइणो ॥७०९८।। तं दळूणं रन्ना सिरिवम्मो रायनंदणो भणिओ । पेक्खह कुमार ! एत्तो सारंगतुरंगमं एंतं ॥७०९९।। आरूढआसदमगं अह कुमरो तत्थ निक्खिवइ दिट्टि । तत्तो पुणो वि राया कुमारमेवं पयंपेइ ॥७१००। केरिसओ तुम्ह इमो तुरंगमो माणसम्मि पडिहाइ । केरिसओ वा एसो आसारोहो हयारूढो ? ।।७१०१।।
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