Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिमुनिसुव्वय जिणिदचरियं
वइरामया य लट्ठी सुसिलिट्ठा वट्टसंठिया लट्ठा। अट्ठट्ठ मंगला उवरि सझयछत्ताइछत्ता य ॥। ८०२०।। तस्य खुड्डम हिंदज्झयस्स पच्चत्थिमेण चोप्पालो । नामं पहरणकोसो विमाणवरण सुरिदस्स ।। ८०२१।। सव्ववइरामओ सो अच्छत्तप्पभिइवन्नयसमेओ । तत्थ य निक्खित्ताइं पहरणरयणाई चिट्ठति ॥। ८०२२।। फलिहरयणाइयाइं खग्गगयाधणुहपभिइयाई च । सुबहूणि उज्जलाई सुतिक्खधारा निसियाई ||८०२३ ।। उवरि च सुहम्मा सहाए अट्ठट्ठ संति मंगलगा। तह छात्ताइच्छत्ता तीसे उत्तरपुरत्थिमओ ||८०२४।। एवं सिद्धाययणं आयामे जोयणाण सय एगं । विक्खंभे य तयद्धं बावन्तरि जोयणा उच्चं ।।८०२५ ।। सोहम्मसहास रिसो सव्वो इह् वन्नओ मुणेयव्वो । तस्स बहुमज्झभाए एगा मणिपेढिया रम्मा ||८०२६।। सोलसजोयमाणा उवरितले देवछंदओ तीसे । सोलस य जोयणाई विक्खंभायामओ होति ||८०२७।। उड्ढं उच्चत्तेणं हवंति ताई पिसाइरेगाई । सव्वरयणामओ अच्छओ य सो जाव पडिवो ||८०२८ ।। तत्थ जिस्सेपमाणमत्थि जिणनाहपडिमअट्ठसयं । तासि जिणपडिमाणं विओ वन्नओ एवं ||८०२९।। तवणिज्जनिम्मियाई करचरणतलाई अंकमयनक्खा । ते नक्खा अंतोलो हियक्खपडिसेगजुत्ता य ॥ ८०३० ।। जंघा-जाणू-ऊरू-सरीर-लट्ठी य कणयमयमेयं । तवणिज्जमती नाही रिट्ठमती रोमराती य ।।८०३१ । तवणिज्जमया चुच्चय सिरिवच्छा सिलुपवालमय उट्ठा। फलिमयाओ ( उण ? ) दंता तवणिज्जय ताणुजीहा य वरणमती नासा सा अंतो लोहियक्खपडिसेगा । अंकमयं अच्छिजुयं अंतो पुव्वुत्तपडिसेगो ||८०३३ || रिट्ठमईओ ताराओ होंति पुलगामतीउ दिट्ठीओ । रिट्ठामतीउ तह अच्छिपत्तभमुहाओ नेयाओ ।। ८०३४ ।। कणगामा यसवणा कणगमतीओ निडालवट्टीओ । वइरमई सीसघडी तह तवणिज्जामती नेया ।। ८०३५ ।। संतकेसभूमी रिट्ठमया उवरि मुद्धया नेया । पत्तेयं पत्तेयं ताहि जिणनाहपडिमाणं ||८०३६।। चिट्ठति पिट्टभाए उडाओ छत्तहारपडिमाओ । धारंतीओ धवलाई आयवत्ताई विमलाई ।।८०३७ ।। तह उभओ पासेसुं पत्तेयं चमरधारपडिमाओ । चिट्ठति धरतीओ नाणामणिडंडसियचमरे ||८०३८।। पुरओ तहेव दो दो पडिमाओ नागभूयजक्खाणं । तह कुंडधारपडिमाओ मणिमईओ य अच्छाओ ।।८०३९ ।। तासि जिrपडिमा पुरओ भिंगारकलस घंटाणं । थालीणं पातीणं आयंसाणं च अट्ठसयं ॥ ८०४० ।। पत्तेयं पत्तेयं रयणकरंडाण वायकरगाण । हयकंठाणं गयकंठाणं जावस भकंठाणं ।। ८०४१ ।। तह पुप्फलो महत्थगचंगेरीणं च पुप्फ- पडलाण । जालो महत्थपडलाण होति पत्तेयमट्ठसयं ॥। ८०४२।। तह तेल्लसमुग्गाणं जाव य अंजणसमुग्गगाणं च । तह धूवकडच्छ्रणं पत्तेयं होति अट्ठसयं ।।८०४३। तस्य सिद्धाययणस्स उवरि अट्ठट्ठ होंति मंगलगा । छत्ताइच्छत्ता विय झया य रयणामया रुइरा ।। ८०४४।। उववायसहा सिद्धाययणस्सुत्तरपुरत्थिमे अत्थि । सोहम्माए सहाए गमेण इह वन्नओ नेओ ।। ८०४५ ।। जावट्टजोयणाई मणिपेढी तन्थ देवसय णिज्जं । तह तस्स वन्नओ अट्ठ अट्ठमंगलझयाती य ।।८०४६।। तीसे उववायसहाए अस्थि उत्तरपुरत्थि मे भाए । हरओ एवं जोयणसयमायामेण वित्थिन्नो || ८०४७।। पन्नासजोयणाई उब्वेहेणं तु जोयणा दस उ । हरयस्स तस्स उत्तरपुरत्थि मे अत्थि दिसिभाए ||८०४८ ।। महती अहिसेयसहा जहा सुहम्मा सहा तहा नेया । मणिपेढी सीहासणमिहदामा जाव चिट्ठति ।। ८०४९ ।। तत् य विमाणपणो अहिसेओवगरणं बहुं अस्थि । अट्ठट्ठमंगलाई झओ य छत्ताइछत्ता य ।।८०५०।। तीसे अहिसेयसहाए अस्थि उत्तरपुरत्थि मे भाए । विउलालंकारसहा जहा सुहम्मा तहा नेया ।। ८०५१ ।। मणिपेढी अट्ठय जोयणाई सीहासणं सपरिवारं । तत्थ य विमाणपहुणो चिट्ठ ति बहू अलंकारा ॥ ८०५२।।
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