Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 249
________________ २१६ - सिरिवम्मकुमारचरियं तेसु धुवा आवत्ता दस हुंति तुरंगमाण नियमेण । तेरसहियं सयं पुण सेसं आगंतुआवत्ता ॥६९३७।। तेसु वि सत्तत्तीसं आवत्ता सुंदरा मुणेयव्वा। छावत्तरिआवत्ता सेसा पुण निंदिया नेया ॥६९३८॥ आवत्ताण दसण्हं धुवाण ठाणाइं होति छ च्चेव । उरसिररंधुवरंधा चउसु वि दो दो य आवत्ता ॥६९३९।। एक्को निडालदेसे होइ दुइज्जो पवाणदेसम्मि । ठाणेसु छसु वि एएसु होंति एवं दसावत्ता ।।६९४०।। एए सट्ठाणठिया पयक्खिणा सुप्पहा पसत्था य । एएहिं विणा तुरओ थेवाऊ अलक्खणो असुहो ।।६९४१ ।। इण्हि तु पवक्खामो वीस ठाणाइं सुप्पसत्थाई । जायंति जेसु सुहया आवत्ता सत्ततीसं तु ॥६९४२।। सिक्केसु दोन्नि ठाणा आवत्ता तेसु होति दोन्नेव । होति निडाले चउरो आवत्ता तेसु बारस उ ।।६९४३।। वच्छम्मि तिन्नि ठाणा आवत्ता तेसु ति चउ पंचेव । केसंतकन्नबाहूखंधा दो दो भवे ठाणा ।।६९४४।। कंठे तहा निगाले रंधे एएसु ठाणमेक्कक्कं । एवं टाणावत्ता सुपसत्था पणिया सव्व ॥६९४५।। एएसु को विकिचि वि करेइ तुरयाहिवस्स पवरफलं । धण-भूमि-रज्ज-मित्ताइ लाहमरिजयमरोगाई ।।६९४६।। संखं मन्ना नासा खंधो जाणू तिगं गलो कउहं । कुच्छि-हणु-कक्खपासा भूमज्झं पुच्छमूलं च ।।६९४७।। ओट्ठो णाही-आसण-जंघा-सीवणि अवाणमाईणि । छावत्तरिठाणाई एक्केको तेसु आवत्तो ॥६९४८।। एए सव्वे असूहा एएसि को वि किंपि पकरेइ । यसामिणो विरूवं मरणभयाबंधणाईयं ।।६९४९।। एवं वन्नाईया सरपज्जता वि लक्खणा नेया । असुहा सुहा हयाणं हयपहुणो तविहफला य ।।६९५०।। सारीरयं इयाणि तुरयाणं लक्खणं पवक्खामि । जीहा कंठनिबद्धा तीए उरि तु तालु भवे ।।६९५१।। हेटा सणा पीणो हणयनिबद्धाउ होति दाढाओ। दाहिणवामा अहरुत्तरा य ताओ चउ वि भेया।६९५२।। तासि मज्झे दंता अहरुत्तरया वि बारस हवंति । एतेसु वंजणेहिं नेयं तुरयाण वयमाणं ॥६९५३।। दंताणं उरि पुण विबुहेहिं उत्तरा विणिद्दिट्टा । दंतावरणा ओट्ठा तेसि संधीउ सिक्किणिओ ॥६९५४।। अहरोटुस्स य हेट्ठा चिउयं उवरि तु उत्तरोट्ठस्स । होति पवाणं तस्स य उड्ढं पोत्थो त्ति निद्दिट्ठो ।।६९५५।। पासेसु तस्स नासाउडजुयलं पोत्थलोयणंतरए । घोणा तीसे पासेसु कित्तिया गंडवासाओ ॥६९५६।। मज्झम्मि अस्सुवाया तेसि उरि च अस्सुवायाणं । नयणाई ताण अच्छायणाई वम्माई नेयाइं ।।६९५७।। नयणाणं मज्झम्मि उ कसिणं तह सुक्किलं च नायव्वं । वम्मुवरिगया लोयणकूडा भुमयाउ नेयाओ ।।६९५८।। नयणाणं पेरंता अवंगनामा उ होति नायव्वा । अच्छीण मज्झभाए कणीणिया होइ बोधव्वा ।।६९५९।। भुमयाथुवाण मज्झे होइ निडालं तु उवरि तस्स धुवं । कन्नंतरम्मि य सिरं मत्थयमेयस्स अणुलग्गं ।।६९६०।। तस्स य उभओ भाए कन्ना मज्झम्मि संखकन्नाणं । नायव्वा होंति कडा अवंगकडपासओ संखा ॥६९६१।। संखकडाणं उरि घाडा बाहिम्मि तह कवोलाणं । होइ हणु जत्तु तं चिय हणुगलनाडीणसंधीए ॥६९६२।। होइ निगालो कन्नाण पासओ पिट्ठओ य विदुजुयलं । अन्ने उ कंठनाडीपासेसु विदू पयंपंति ।।६९६३।। अंसाण सिरस्स य अंतरम्मि गीवा य तदुवरि खंधो । खंधुवरि केसराइं केसंता केसपासठिया ।।६९६४।। जत्तु पुरो होइ बाहा मज्झे वहकाकसाण जत्तु भवे । जत्तु कउहाण मज्झे विबुहेहि काकसा कहिया ।।६९६५।। कउहं तु काकसाए मझे तह आसणस्स निद्दिळं । कउहाणंतरमासणमक्खायं लक्खणण्णूहि ।।६९६६।। अह पिटुं तव्वंसो अंसा कउहस्स होंति संबद्धा। एम जुयमसमूलाणुगयं तुरयाण होइ गलो ।।६९६७।। कंठस्स निगालस्स य मज्झे गलवच्छमज्झओ कंठो । कंठस्स अहे वच्छं कोडो हियवच्छमज्झम्मि ।।६९६८।। कोडस्स अहे बाहू बाहूण अहे हवंति जाणूणि । जाणूणब्भंतरओ किणा अहे होति जंघाओ ।।६९६९।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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