Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिमुनिसुव्वयजिणिदचरियं
१७१ उज्झायस्स वि एसो अभिपाओ आसि निय मण तइया । जइ जणयस्साणाए बच्चइ नरपुंगवो कहवि ।।५५०९।। तुरियं चिय पियपासे एत्तो अगिहीय सव्वकलपडलो। थेवेण वि तो एसा मम कित्ती होइ अन्नस्स ।।५५१०।। तह वि हु मए गहीया लेहकला थोव ऊण वरिसेण । एसो छम्मासेण वि जं पढिओ तं इमं चोज्ज ।।५।११।। अह जयमम्मो पभणइ जइ सेच्छाए लहंतओ पढिउं । एसो चउमासेण वि तो लेहकलं वियाणंतो ।।५५१२।। अम्हे चेव य एवं चक्खु भएणं परं न सिग्ययरं । पाढेमो किं तु जहा सुहेण देहस्स लीलाए ॥५५१३।। ता तूब्भ कि पि इमं पुच्छह सेच्छाए जह कहइ एसो। तो रन्ना सो पुटठो दुसु तिसु ठाणेसु विसमेसु ।।५५१४।। कूमरो असंकियमणो जहट्ठियं सव्वमेव साहेइ । तो रंजिएण रन्ना दिनो पट्ठीए तस्स करो ।।५५१५।। भणियं च जहा एसा पढमच्चियदुग्गमा कला होइ । एयाए नायाए सेसकलाओ सुनेयाओ ।।५५१६।। लेह-कलमनाऊणं जो सेसकलाओ ईहए नाउं । सो मगाइ चिरगयअहिपयाई निसितमसिसलिलम्मि ।।५५१७।। अह वयइ नम्मसचिवो जइ देवो देइ मज्झ अच्छलियं । तो हिययगयं अट उज्झायं कं पि पुच्छामि ॥५५१८।। तो पत्थिवेण भणियं अच्छलियं चेव तुज्झ सयकालं । दिन्नं चिट्ठइ अम्हेहिं पुच्छ ता तं जहिच्छाए ॥५५१९।। अह सो जंपइ जह मज्झ ताव पढणं कलाण दूर गयं । एयम्मि भवे तह वि हु जाणामि इमाण नामाई ।।५५२०।। नाम परिन्नाणेण वि जेण अहं इयरलोयमज्झम्मि । जाणतयं व जाणावयामि अप्पाणयं परमं ।।५५२१।। ता काऊण पसायं उज्झाओ कहउ ताई मह इन्हि । अह जयसम्मो जंपइ सुणेहि सम्मं कहेमि जहा ।।५५२२।। लेहं१ गणियं२ रूवं३ नट्ट४ तह गीय५ वाइयं चैव६ । सरगय७ पोक्खरगय८ समतालं९ ज्यं च १० जणवायं
॥५५२३।। ११पासयगय १२ अट्ठावय १३ पोरेकव्वं १४ तहेव दगमट्टी१५ । अन्नविही१६ पाणविही १७ वत्थविहि १८
विलेवण-विहीय १९ ॥५५२४।। सयणविही २० तह अज्जा२१ पहिलिया२२ मागहीय२३ गाहा य२४ । गीईया य२५ सिलोगो२६ जत्तीओ
य कणयाण२७-२८ ।।५५२५॥ तह चुन्नज्जुत्ति२९ आभरणविही३० तरुणीयणस्स पडिकम्मं३१ । थी३२ नर३३ हय ३४ गय ३५ गोणाण
लक्खणं३६ कुक्कुडस्स तहा३७ ।।५५२६।। अह छत्त३८ डंड ३९ असि४० मणि ४१ कागणि संबद्धलक्खणाई च४२ । तह वत्थुविज्ज४३ खंधारमाण ४४
नगरस्स माणं च ४५ ।।५५२७।। वहं४६ पडिवूहं४७ तह चार ४८ पडिचार ४९ चक्कवूहाइं५० । गरुल५१ सगडाण वूहं५२ जुज्झ५३ निजुज्झाई
तह चेव५४ ।।५५२८।। जुज्झाइ जुज्झ५५ लट्ठी५६ मुट्ठी५७ बाहू५८ लयाण जुज्झाई५९ । ईसत्थ६० रुप्पवायं६१ धणुवेय६२ हिरन्न
पागो य६३ ।।५५२९।। पागो उ सुवन्नस्स य६४ वट्टय खेड्डु च६५ सुत्तखेडं च६६ । नालियखेड्९६७ तह पत्तछेज्ज६८ कडछेज्ज६९
सज्जीवं७० ॥५५३०।। निज्जीवं७१ सउणस्यं७२ इमाइं नामाइं सत्थ भणियाई । तुज्झ मए कहियाई कलाण बावत्तरीए वि।।५५३१।। तेण कहिज्जताई वि कलाण नामाइं भुज्जखंडम्मि । एयाइं समग्गाइं वि लिहिऊण करम्मि गहियाइं ।।५५३२।। पुण किं पि जंपिऊणं जयसम्मेणसमं पुहइनाहो । तमणुन्नविउं वच्चइ निय पासायं सपरिवारो।।५५३३।।
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