Book Title: Munisuvratasvamicarita
Author(s): Chandrasuri, Rupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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१८८
सिरिवम्मकुमारचरिय ता संवाओ जाओ उभयाण वि जंपिएसु दूयाणं । तम्हा संदेहो इह वत्थुम्मि न को वि कायब्बो ॥६०३० ।। जइ वि वसंतसिरीए अंगीकारो न को वि अम्हेहिं । विहिओ चिट्ठइ अज्ज वि तहा वि तीए सयं वरिओ ॥६०३१।। सिरिवम्मकुमारो तस्स अंतिए आगम कुणंतीए । जायं च बहुनिवाणं रज्जेसु पसिद्धमेयं पि ॥६०३२॥ पुव्वं वासवदत्तो महाबलो तयणु सूरपालो य । पुरिओ य अहं एए चउरो वि निवा मुणंति धुवं ।।६०३३।। अन्नेसि पि निवाणं रज्जेसु दिणे दिणे इमो अट्ठो । पसरंता मनिज्जइ दूएहि एंत जतेहि ।।६०३४।। तो जइ सुदंसणेणं अहवा वि हु वीरपालकुमरेण । केण वि चेप्पइ सा तह वि होइ गुरुपरिभवो अम्ह ।।६०३५।। ता इन्हि चिय कीरउ उवक्कमो एत्य अह भणइ मंती । निमिसद्धं पिन कीरइ देव! विलंबो इहट्टम्मि ।।६०३६।। ठाणाओ उद्दिज्जइ एत्तो विहिए उवक्कमे गरुए। बेइ निवो दोन्नि निवे अंगीकाऊण गंतव्वं ।।६०३७।। तो दंडाहिवमेत्तम्मि पेसिए तत्य होइ न हु सिद्धी । तम्हा सयमेव मए गंतव्वं एत्थ नियमेण ।।६०३८।। मंती भणइ इहट्टे तुम्हेहि चिय गएहि होइ परं । एसो न को वि नियमो पडिबिबं को वि जो तुम्ह ।।६०३९।। तेण वि गएण सिज्झइ जम्हा पुरओ वि रायकुमराण। सुब्बइ समागमो न उण पत्थिवा के वि तत्थ गया ।।६०४०।। अह सिरिवम्मकुमरो जोडियहत्थो नरेसरं नमिउं । विनवइ जहा एयं अम्ह पसायं कुणउ देवो ।।६०४१।। चिळंतु देवपाया पवित्तयंता इहेव चंदरि । नियदंसणेण तोसं उप्पायंता पुरजणस्स ।।६०४२।। जा पत्थिवो न जंपइ कि पि तओ उट्ठिऊण पाएसु । पिउणो निक्खिविऊणं नियसीसं वयइ सिरिवम्मो ॥६०४३।। जइ मइ चिट्टतम्मि वि देवो विजयं करिस्सए कडए । तो देवेण सयं चिय काउरिसत्तं ममट्टवियं ।।६०४४।। ता जत्तागमणमिमं आइसउ ममेव संपयं देवो । इय निबंधं नाउं कुमरस्स तओ नरवरेण ।।६०४५।। दिन्नो तस्साएसो निरूवियं सव्वमेव नियसेन्नं । तेण सह पहाणयरं तओ विइन्नं निवेण सयं ।।६०४६।। बीडयमिमो गहेडं सिरिवम्मो निग्गओ तओ झत्ति । पत्थाणे ठाऊणं भुत्तो नयरीए बाहिम्मि ।।६०४७।। हक्कारिऊण तो दोन्निनियनरे समुचिए समाइसइ । जह सूरपालरन्नो देसे गुलखेडनयरस्स ।।६०४८।। आसन्नट्ठियवज्जाउह देवीए पुरस्स मज्झम्मि । गहियावासा चिट्ठइ निववासवदत्तअंगरुहा ।।६०४९।। नामेण वसंतसिरी तीसे पासम्मि ताव पुव्वं पि । गंतूणं तुब्भेहिं अविलंबगईए दोहि पि ॥६०५०।। कहियव्वं तप्पुरओ एरिसयं जो तए निओ पुरिसो। सामनामो नरपुंगवस्स रन्नो समीवम्मि ।।६०५१।। सत्तहि जणेहि सहिओ पट्टविओ आसिसो पहे जंतो। कुमरसुदंसणपुरिसेहि मारिओ पंचजणसहिओ।।६०५२।। सेसेहिं पुणो दोहिं उ घाइयदेहेहि तत्थ गंतूण । सव्वं निवस्स पुरओ कहियं तेण वि निवकुमारो ॥६०५३।। सिरिवम्मो आइट्ठो संवाहे तुम्ह आगमणहेउं । एंतो चिट्ठइ मग्गे न का वि अधिई तओ तुमए ।।६०५४।। कायव्वा नियचित्ते इमस्स अट्ठस्स तुज्झ कहणत्थं । सिरिवम्मेणं अम्हे पट्टविया अग्गओ होउं ।।६०५५।। इय तीसे कहिऊणं तत्तो जोयणदुगंतरठियस्स । पासम्मि सुदंसणनामयस्स कुमरस्स गंतुणं ।।६०५६।। पढम चिय नरपुगनिववयणेणं इमं इमं तस्स । कहियव्वं तुम्हेंहिं तो जइ मन्नइ न सो एवं ।।६०५७।। दुबुद्धिसेहरो तो निरवेक्खं मज्झवयणओ पच्छा । एवं एवं एसो भणियव्वो निम्वियप्पेहि ।।६०५८।। भणिऊण सुदंसणकुमरमेरिसं तो नियत्तिउं तत्तो । वज्जाउहदेवीए पुरम्मि एज्जह पुणो तुब्भे ॥६०५९॥ इय सिक्खं दाऊणं विसज्जिऊणं च ते दुवे वि जणे। सामंतमहासाहणियमंडलाहिवइणो तत्तो ॥६०६०।। हक्कारिऊण सबे नरपूगवरायनंदणो भणइ । जे के वि तुम्ह सेन्ने घडियाए जोयणं जंति ॥६०६१।। तुरया करहा य तहा जियस्समादीहमग्गगमणम्मि । आरोहया य तेसि निव्वाडेऊण ते सव्वे ।।६०६२।।
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