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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री चितामणि पार्श्वनाथ का मंदिर मंदिर से बाहर निकलते समय दाई ओर एक कमरा है जिसको चितामणि पार्श्वनाथ का मंदिर कहा जाता है। कहा जाता है ये मंदिर 800 वर्ष प्राचीन है वर्तमान में एक देवरी में प्रतिमाएं विराजित है। इस देवरी में निम्न प्रतिमाएं स्थापित है - ___ 1. श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा
है। इस पर सं. 1887 का लेख है। श्री चन्द्रप्रभ भगवान की (मूलनायक के दाएं) की श्वेत पाषाण की 10" ऊँची प्रतिमा है।इस पर सं. 156 अंक स्पष्ट है चौथा अंक अस्पष्ट है संभवतया 1566 है। श्री जिनेश्वर भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 5" ऊँची प्रतिमा है। इस पर लेख नहीं है। श्री पद्मप्रभ भगवान की (मूलनायक के बाएं) पीत पाषाण की 9" ऊँची
प्रतिमा है। इस पर सं. 1959 का लेख है। 5. श्री जिनेश्वर भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्याम पाषाण की 5" ऊँची
प्रतिमा है। इस मंदिर की देखरेख समाज द्वारा की जाती है। सं. 1887 वर्ष में जिर्णोद्धार हुआ, अन्त में सं. 1941 पोष वदी 8 का जिर्णोद्धार हुआ।
वार्षिकध्वजावैशाखसुदि 6 को चढ़ाई जाती है, ध्वजादण्ड नहीं है। सम्पर्कसूत्र-समाज की ओर से श्री मिट्ठालालजीबोलिया, फोन 01472-246383
श्री आदिनाथ भगवान का मंदिर (यति जी का मंदिर), पुराना बाजार, चित्तौड़गढ़
यह मंदिर श्री आदिनाथ भगवान का है यति जी किसी व्यक्ति को दर्शन के अतिरिक्त सेवा पूजा नहीं करने देते है । वह इनका निजी मंदिर है।
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