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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
उत्थापित चल प्रतिमाएँवयंत्र धातु की: 1. श्री जिनेश्वर भगवान की चतुर्विशंति 13" ऊंची है। इस पर दिनांक
15-02-2009 का लेख है। श्री महावीर भगवान की 4.5" ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं. 2046 का लेख
है। 3. श्री धर्मनाथ भगवान की 6" ऊंची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 1529
वै. वदि 5 का लेख है। 4. श्री सिद्धचक्र यंत्र 4.7" गोलाकार है। इस पर कोई लेख नहीं है।
5. श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 3.5" का है। इस पर कोई लेख नहीं है। ___6. श्री अष्टमंगल यंत्र 5"x2.5" का है। इस पर संवत् 2062 का लेख है।
बाहर:
__1. श्री माणिभद्र की श्वेत पाषाण की 13" ऊंची प्रतिमा है।
__ श्री चक्रेश्वरी देवी की श्वेत पाषाण की 15" ऊंची प्रतिमा है। सभामण्डप में:
1. श्री मांतग यक्ष की श्वेत पाषाण की 10 " ऊंची प्रतिमा है। 2. श्री सिद्धायिका देवी की श्वेत पाषाण की 10" ऊंची प्रतिमा है।
श्री सिद्धचक्र महायंत्र, पावापुरी, शत्रुजय, सम्मेदशिखर जी, आबू पहाड़ के पट्ट बने हुए है। इसके आगे दूसरा (स्वतंत्र मंदिर) मंदिर शत्रुजय महातीर्थ का पट्ट मंदिर है।
तीसरा गुरू मंदिर (स्वतंत्र मंदिर) (दादावाड़ी) के नाम से जाना जाता है। इसमें निम्न प्रतिमाएं स्थापित है :1. श्री जिनदत्तसूरि की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 15" ऊंची प्रतिमा
है। इस पर सं. 2045 का लेख है।
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