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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
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श्री चन्द्रप्रभ भगवान का मंदिर (गुमान जी का मंदिर), प्रतापगढ़
यह विशाल शिखरबंद मंदिर प्रतापगढ़ शहर के निचल बाजार के मध्य में स्थित है। यह मंदिर वि.सं. 1831 में शाह जी गुमान जी पुत्र कुशल जी चांपावत (हुमड़) जो प्रतापगढ़ राज्य के प्रमुख सदस्य थे और उन्होनें धर्म भावना से प्रेरित होकर इसका
निर्माण वि. सं. 1831 में करा सवत् 1838 फाल्गुन सुदि 3 का प्रतिष्ठा तपागच्छ के आचार्य श्री शांतिसूरि के शिष्य उपाध्याय श्री कान्तिसागर जी म. सा. की निश्रा में सम्पन्न करा हूमड़ समाज को सुपुर्द किया।यह मंदिर गुमान जी चाम्पावत द्वारा निर्मित होने से गुमान जी का मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।मंदिर 230 वर्ष प्राचीन है। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित हैं:
श्री चन्द्र प्रभ भगवान (मूलनायक) की श्वेत पाषाण की 31"ऊंची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1838 शाके 1703 का लेख है। श्री वर्धमान भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्याम पाषाण की 23" ऊंची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1838 का
लेख है। 3. श्री नेमिनाथ भगवान की
(मूलनायक के बाएं) श्याम पाषाण की 23" ऊंची प्रतिमा
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