Book Title: Mewar ke Jain Tirth Part 02
Author(s): Mohanlal Bolya
Publisher: Athwa Lines Jain Sangh

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Page 268
________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 श्री आदिनाथ भगवान का मंदिर, अरनोद यह शिखरबंद मंदिर प्रतापगढ़ से 15 किलोमीटर दूर ग्राम के मध्य में स्थित है। इस मंदिर का जिर्णोद्धार चल रहा है। वर्तमान में प्रतिमाएँ उपाश्रय में बिराजमान कराई हुई है। यह मंदिर समस्त पोरवाल समाज ने संवत् 1893 शाके 1758 वैशाख शु.4बुधवार को निर्मित कराया।इसका महाराजा अर्जुन सिंह जी ने पट्टा प्रदान किया तथा इसी पट्टे के माध्यम से 20 बीघा भूमि मंदिर के नाम पर चढ़ाने की पुष्टि की। प्रतापगढ़ राज्य का दूसरा सबसे बड़ा कस्बा है, यह महारावत (शासक)के नजदीकी बन्धुओंकोजागीरी दी गई। महारावत सालिम सिंह के छोटे पुत्र के वंशज का शासन है। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित हैं : 1. श्री आदिनाथ भगवान की (मूलनायक) श्याम पाषाण की 25" ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं. 1893 का लेख है। 2. श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 11" ऊंची प्रतिमा है। 3. श्री महावीर भगवान की श्वेत पाषाण की 11" ऊंची प्रतिमा है। इस पर वीर सं. 2504 का लेख है। श्री शांतिनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्याम पाषाण की 8" ऊंची प्रतिमा है। उत्थापितचल प्रतिमाएँवयंत्र धातु की श्री श्रेयांसनाथ भगवान की 7.5" ऊंची पंततिर्थी प्रतिमा है। इस पर सं. 1533 माह वदि 6 का लेख है। Jain Education International For PE250)vate Use Only www.jainelibrary.org

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