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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
4. श्री सिद्धचक्र यंत्र 5" ऊंचा है। इस पर सं. 2044 का लेख है। माघ सुदि 5
__ का लेख है। 5. श्री अष्टमंगल यंत्र 5"X2.5" का है। इस पर सं. 2045 का लेख है। निज मंदिर के बाहर निकलते समय दोनो ओर:
1. श्री क्षेत्रपाल (माणिभद्र) की 9" ऊंची प्रतिमा है। 2. श्री पद्मावती देवी की श्वेत पाषाण की 11" ऊंची प्रतिमा है। इस पर
अस्पष्ट लेख है। मंदिर के बाहरी भाग में सभी तीर्थकर, देवियों व 14 स्वप्न के चित्र सुशोभित है। बाहर टाइल्स जड़ी हुई है। मंदिर की 24 बीघा जमीन है । जिर्णोद्धार अभी 3-4 वर्ष पूर्व ही हुआ है। वार्षिकध्वजामाघसुदि 15 को चढ़ाईजाती है। मंदिर कीव्यवस्था समाज की ओर से श्रीज्ञानचन्द्र जीदकद्वारा की जाती है। सम्पर्कसूत्र-01473-252336
'मोक्षमार्ग' स्वयं के दोष देखने के लिए है और 'संसार मार्ग' दूसरों के दोष देखने से है।
Jain
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