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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
3. श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 4" का है। इस पर सं. 2048 का लेख है।
श्री अष्टमंगल यंत्र 6"x3", 6"X3" का है। इन पर कोई लेख नहीं है। बाहर आलिओं में:1. श्री पार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 13" ऊंची प्रतिमा है। इस पर
सं. 2048 द्वि. वै. शु. 6 का लेख है। 2. श्री पार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 13" ऊंची प्रतिमा है। इस पर
सं. 2048 द्वि. वै. शु. 6 का लेख है। परिक्रमा कक्षा में :1. श्री माणिभद्र की श्वेत पाषाण की 14" ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं. 2065
वै. वदि 10 का लेख है। श्री नाकोड़ा भैरव की श्वेत पाषाण की 11' ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं.
2065 का लेख है। 3. ___ श्री पद्मावती देवी की श्याम पाषाण की 11" ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं.
2065 का लेख है। पीछे:
श्री गौतम स्वामी की श्वेत पाषाण की 20 ऊंची प्रतिमा है। मंदिर के साथ आराधना भवन, उपाश्रय, हाल बना हुआ है। मंदिर की देखरेख समाज की ओर से श्री अरविन्द कुमार जी मांगीलाल जी वया द्वारा की जाती है। सम्पर्कसूत्र-01478-251730
सुख सभी प्रशंसनीय नहीं हैं
तो दुःख सभी निंदनीय भी कहाँ हैं?
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