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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री मणिधारी जिनचन्द्रसूरि की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 13" ऊंची प्रतिमा है इस पर सं.0 2045 का लेख है। श्री जिनकुशलसूरि की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 13" ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं0 2045 जयेष्ठ शु0 10 का लेख है। श्री गुरू पादुका 6"X6" चौकी पर स्थापित है। इस पर सं. 2057 पौष
वदि 4 का लेख है। 2. श्री जिनकुशल सूरि की पादुका 6"X6" चौकी पर स्थापित है। इस पर
संवतृ 2057 का लेख है। निकलते समय बाहर - दाई ओर :
1. श्री नाकोड़ा भैरव की पीत पाषाण की 11" ऊंची प्रतिमा है। *2. श्री काला भैरव की श्याम पाषाण की 11" ऊंची प्रतिमा है। बाई ओर :
गौरा भैरव की श्वेत पाषाण की 11" ऊंची प्रतिमा है। श्री घंटाकर्ण महावीर की श्वेत पाषाण की 13" ऊंची प्रतिमा है। मंदिर में प्रवेश करते समय मुख्य दरवाजे के दाईं ओर कमरे निर्मित है जो उपाश्रय के लिए उपयोग में आते हैं। वार्षिकध्वजा-वैशाख सुदि 6 को चढ़ाई जाती है।
मंदिर के बाहर विशाल भूखण्ड है। समाज की ओर से मंदिर की देखरेख श्री इन्द्रमल जी दलाल अध्यक्ष, गुमान जी का मंदिर व श्रीसंजय सालगिया द्वारा की जाती है।
सम्पर्कसूत्रः फोन 01478-222112, 222412
संस्था का संपूर्ण नाम श्री सिद्धाचल तीर्थ मण्डल जैन श्वैताम्बर मंदिर दादावाड़ी प्रतापगढ़ है।
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