________________
मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री आदिनाथ भगवान का मंदिर, मंगलवाड़ यह शिखरबंद मंदिर चित्तौड़ से 45 किमीव उदयपुर से 65 किमी दूर मंगललाड़ ग्राम के मध्य स्थित है। नजदीक रेल्वे स्टेशन चित्तौड़गढ़ है। कथनानुसार यह मंदिर 150 वर्ष प्राचीन बतलाया है। लगभग यही समय भी प्रतिमा पर अंकित है। पूर्व में मंदिर घूमटबंद था। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित है :
श्री आदिनाथ भगवान की (मूलनायक) श्याम पाषाण की 12" ऊँची प्रतिमा है। ____ इस पर कोई लेख नहीं है। 2. श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएँ) श्वेत पाषाण की 10' ऊँची
प्रतिमा है। इस पर वि.सं. 1885 का लेख है। 3. श्री जिनेश्वर भगवान की (मूलनायक के बाएँ) श्वेत पाषाण की 9' ऊँची प्रतिमा
है। इस पर सं. 1836 का लेख है। 4. नीचे की वेदी पर श्री पार्श्वनाथ भगवान की श्याम पाषाण की 6" ऊँची प्रतिमा
धातु की प्रतिमाएं व यंत्र: 1. श्री चतुर्विंशति 12" ऊँची है। इस पर सं. 2043 का लेख है। 2. श्री नेमीनाथ भगवान की 7" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। 3-4श्री पार्श्वनाथ भगवान की 2" व 1.5" ऊँची प्रतिमा है। 5. श्री सिद्धचक्र यन्त्र 4.5" x 4.5" के आकार का है। 6. श्री अष्टमंगल यन्त्र 5" x 3" के आकार का है। इस पर सं. 2065 का लेख है। दोनों ओर:
श्री माणिभद्रवीर की श्वेत पाषाण की 10" ऊँची प्रतिमा है। (बाईं ओर) 2. श्री सुमतिनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा है। इस पर
साध्वी श्री महोदया श्री जी के सदुपदेश से कांता लेख है। (दाईं ओर) वार्षिकध्वजाआषाढ़वदि१को चढ़ाई जाती है।
मंदिर की देखरेख ओसवाल समाज के मनोहरलाल जी व ललित जी ओस्तवाल करते हैं। सम्पर्कसूत्र:मोबाइल:94605 36013
1.
Jale Jucation International
For Person 11 te Use Only
www.jainelibrary.org