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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
3. बीस स्थानक यंत्र 10' का गोलाकार है। इस पर सं. 2064 का लेख है। 4. श्री समोसरण मंदिर गोलाकर 4.5" का है। इस पर सं. 2041 वैशाख सुदि
5 का लेख है। 5. श्री सिद्धचक्र गोलाकार 4.5" का है। इस पर 2041 का लेख हैं। 6. श्री देवी की 3' ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 1542 भादवा सुदि 7 का लेख
है। बाहर आलिए में:
1. मांतग यक्ष की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। चक्षु नहीं है।
2. श्री शान्ता यक्षिणी की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। सभामण्डप में
श्री माणिभद्र की स्थानीय पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है। मंदिर का जीर्णोद्धार सं. 2046 माघ शुक्ला 14 को जयंतसूरि जी की निश्रा में सम्पन्न हुआ। मंदिर की जमीन होना बतलाया गया लेकिन जानकारी नहीं है। मंदिर परिसर प्राचीन है। शेष नूतन है। पास में उपाश्रय व तीन कमरें, प्रवचन हाल चौक है।
वार्षिकध्वजा माघशुक्ला 14को चढ़ाई जाती है। समाजकी ओर से व्यवस्था श्रीसुरेन्द्र जीडुंगरवालवपरिवार द्वारा की जाती है। सम्पर्क सूत्र-01477-220318
अनुकूलता में जिसे धीरज है उसे प्रतिकूलता में धीरज रहता ही है।
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