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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
पूर्व में प्रकाशित " मेवाड़ के जैन तीर्थ” भाग -1 पुस्तक के संशोधन 1. पृष्ठ सं. 94 पर वर्णित राजपुरा में स्थापित मंदिर के नाम पर 81 बीघा जमीन होने का उल्लेख है लेकिन किसके अधिकार में है, स्पष्ट नहीं है। ऐसी भी जानकारी है कि यति जी ने बेच दी।
2. पृष्ठ सं. 231 में वर्णित देवरी में स्थापित प्रतिमाओं को दीवार में चुनी गई वे पार्श्वनाथ आदिनाथ व विमलनाथ भगवान की प्रतिमाओं का उल्लेख मिलता है।
3. पृष्ठ सं. 236 पर अंकित कड़िया ग्राम के जैन मंदिर की 1 बीघा जमीन श्री भेरूलाल जी खेमराज के पास है -
1. 1 बीघा जमीन श्री धनरूप जी किशोर जी के पास है ।
2.5 बीघा जमीन पुजारी के पास है।
इस जमीन से प्राप्त आय से मंदिर का दैनिक खर्च में किया जाता है ।
पृष्ठ सं. 299 में वर्णित झीलवाड़ा में दो मंदिर श्री आदिनाथ व शांतिनाथ भगवान का होने का उल्लेख है। जबकि वर्तमान में एक ही मंदिर है जो निर्माणाधीन है । व प्रतिमाएं न्याति न्यौरा में स्थापित है ।
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पृष्ठ सं. 301 में वर्णित मंदिर के नाम 35 बीघा जमीन है जो पूर्व के पुजारी जी खेमराज भोलाराम चुन्नीलाल के अधिकार में है। इस सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए । 6. पृष्ठ सं. 311 पर वर्णित मंदिर के नाम 1.5 बीघा जमीन होने का उल्लेख है, वर्तमान में किसके पास है, क्या उपयोग हो रहा है, जानकारी करनी चाहिए।
7. पृष्ठ सं. 336 पर वर्णित मंदिर के नाम 1.5 बीघा जमीन होने का उल्लेख है, वर्तमान में किसके पास है, क्या उपयोग हो रहा है, जानकारी करनी चाहिए ।
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पृष्ठ सं. 341 पर वर्णित मंदिर के नाम 1.25 बीघा पुजारी के अधिकार में है । क्या स्थिति है ? जानकारी करनी चाहिए।
9. पृष्ठ सं. 351 पर वर्णित मंदिर के नाम 4.5 बीघा व 2 बीघा जमीन है जिसका वार्षिक लगान 5. 50 है। वर्तमान में किसके अधिकार में है ? जानकारी करनी चाहिए ।
10. पृष्ठ सं. 421 पर वर्णित मंदिर के नाम पर 19 बीघा सींचित जमीन है जिसका वार्षिक लगान 90/- आता है वर्तमान में किसके कब्जे में है, क्या उपयोग हो रहा है ? जानकारी करनी चाहिए ।
11. पृष्ठ सं. 428 पर वर्णित मंदिर के नाम पर 3 बीघा जमीन व एक कुआं है, वर्तमान में किसके अधिकार में है, क्या उपयोग हो रहा है ? जानकारी करनी चाहिए।
12. पृष्ठ सं. 405 पर वर्णित मंदिर के नाम पर 1.75 बीघा जमीन है जिसका वार्षिक लगान 11.80 रुपये आते है। वर्तमान में क्या स्थिति है ? जानकारी करनी चाहिए।
13. पृष्ठ सं. 116 भटेवर ग्राम की प्राचीनता के बारे में उल्लेख है कि मेवाड़ के गुहिल (गहलोत) वंशीय शासक भर्तृभट्ट ने सं. 1000 में भर्तृपुर (भटेवर ) ग्राम बसाया एवं आदिनाथ भगवान के चैल का निर्माण कराया । उसका नाम 'गुहिल विहार' रखा। उस विहार से जैनों के भटेवर गच्छ का अभिर्भाव हुआ । राजा के वंशजों ने जैन धर्म स्वीकार किया । उनका भटेवरा गौत्र बना ।
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