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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री करेड़ा (करहेडक) पार्श्वनाथ भगवान,भूपालसागर (चित्तौड़गढ़) यह शिखरबंद मंदिर चित्तौड़गढ़ जिले का प्राचीन तीर्थ है। उदयपुर से 70
किलोमीटर व चितौड़ से 40 किलोमीटर दूर स्थित है। यह उदयपुर-दिल्ली रेलवे मार्ग पर रेलवे स्टेशन है। इस नगर का प्राचीन नाम केशपुरपट्टण करहेटक नगरी था। आज करेड़ा है और आधुनिक नाम भूपालसागर है। शिलालेखों के आधार
पर करेडा का नाम करहेडा, करहेडक, करहकर नाम का उल्लेख आता है।
प्राचीन केशपुर पट्टण व्यावसायिक केन्द्र रहा है। यहाँ तक यह भी पाया गया है कि मंदिर 2000 वर्ष प्राचीन है। जैसा कि मंदिर के एक स्तम्भ पर संवत् 55 का लेख होने का उल्लेख है । (वर्तमान में नहीं है) समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहा । वर्तमान में संवत् 1021 का लेख प्रतिमा पर उत्कीर्ण है। इस प्राचीन व्यावसायिक नगर में प्राचीनकाल में बंजारा लोग अपने बैल लेकर व्यापार करने आते-जाते थे। संवत् 1014 में लखी नाम का बंजारा अपनी पत्नी साहू के साथ मालवा की ओर से यहाँ आया। उसके साथ एक लाख बैल थे। अपनी सम्पत्ति के बारे में पति-पत्नी में वाद-विवाद हो गया। अपने-अपने भाग्य व परिश्रम के बारे में कहते रहे। पत्नी साहू ने कहा कि जब वह विवाह कर आई थी, उसके पास केवल 5-7 हजार बैल थे। उसने अपने भाग्य का खेल बताया, इस पर पति लखी को क्रोध आया और क्रोध में उसको त्याग करने की बात
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