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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
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श्री जिनेश्वर भगवान की (मूलनायक के दाएं) की श्वेत पाषाण की 9" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख व लाछंण नहीं है । यह प्रतिमा उदयपुर निवासी श्री तख्तसिंहजी चौधरी द्वारा विराजमान कराई। श्री जिनेश्वर भगवान (मूलनायक के बाएं) की श्वेत पाषाण की 9" ऊँची प्रतिमा है । इस पर स्पष्ट लाछंण नहीं है और लेख भी घिसा हुआ है, अपठनीय है। इस प्रतिमा को बालोतरा निवासी लाखाजी-दौलाजी ने पुनः प्रतिष्ठा कराई। श्री अरिछत्रा पार्श्वनाथ की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा, . है। इस पर लेख है – सायरा निवासी खूमचन्द नगा नामक श्रेष्ठिना पुत्र-पौत्रों परिवारेण - - - श्री तपा. आचार्य श्री नेमी लावण्य सूरि पट्टधर आचार्य विजय दक्षसूरि - - इस प्रतिमा को शेरमल खुमानसिंह पोरवाल ने विराजमान कराई। श्री जिनेश्वर भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 13" ऊँची अति प्राचीन प्रतिमा है। इस पर घिसा हुआ लेख है। इस प्रतिमा को श्री वीरचन्द सिरोया ने पुनः बिराजमान कराई। श्री जिनेश्वर भगवान की (मूलनायक के बाएं) की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची अति प्राचीन प्रतिमा है। इस पर घिसा हुआ अपठनीय लेख है। इस प्रतिमा को मण्डार निवासी श्री प्रतापचन्दजी मकानी ने पुनः विराजमान कराई। श्री मनरंजन पार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 19'' ऊँची प्रतिमा है। इस पर लेख है – श्री मूर्तिपूजक श्री संघेन उदयपुर निवासी श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्री संघेन - - - - यह प्रतिमा नाथद्वारा निवासी स्व. फूलीबाई पत्नी बंशीलालजी श्रेयार्थ अमरचन्द हेमन्त, प्रदीप द्वारा विराजमान कराई। श्री मन वांछित पार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 19'' ऊँची प्रतिमा है। इस पर लेख है-भानपुरा निवासी पोरवाल प्रेमचन्द, उम्मेदमल, जितेन्द्र द्वारा विराजमान की।
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