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उत्थापित प्रतिमाएँ व यंत्र धातु की :
1.
2.
2.
मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
3.
मंदिर के बाहर दोनों ओर आलिओं में :
1.
1.
श्री शांतिनाथ भगवान की 12 " ऊँची चतुर्विंशति प्रतिमा है। इस पर दिनांक 15.11.08 का लेख है ।
2.
श्री सिद्धचक्र गोलाकार 6" का है।
अष्टमंगल यंत्र 5” x 3" का है । इस पर संवत् 2065 का लेख है ।
बाहर सभा मण्डप में :
श्री वरूण यक्ष की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर वीर संवत् 2506 ज्येष्ठ शुक्ला 5 का लेख है।
श्री नरदत्ता देवी की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर ज्येष्ठ शुक्ला 5 का लेख है ।
श्री भैरव की श्याम पाषाण की 13" ऊँची प्राचीन प्रतिमा है । इस पर लेख नहीं हैं।
श्री क्षेत्रपाल की 7" ऊँची प्रतिमा है, मालीपन्ना का प्रयोग होता है।
वार्षिक ध्वजा ज्येष्ठ शुक्ला 5 को चढ़ाई जाती है ।
मंदिर की देखरेख समाज की ओर से श्री चम्पालाल जी मारवाड़ी व श्री पाल जी सेठ द्वारा की जाती है ।
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'इस जगत में किसी भी जीव ने मोक्ष में जाने तक कोई कार्य जानबूझकर नहीं किया है।' यह एक ही वाक्य समझ लीजिए न !
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