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________________ 5 उत्थापित प्रतिमाएँ व यंत्र धातु की : 1. 2. 2. मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 3. मंदिर के बाहर दोनों ओर आलिओं में : 1. 1. श्री शांतिनाथ भगवान की 12 " ऊँची चतुर्विंशति प्रतिमा है। इस पर दिनांक 15.11.08 का लेख है । 2. श्री सिद्धचक्र गोलाकार 6" का है। अष्टमंगल यंत्र 5” x 3" का है । इस पर संवत् 2065 का लेख है । बाहर सभा मण्डप में : श्री वरूण यक्ष की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर वीर संवत् 2506 ज्येष्ठ शुक्ला 5 का लेख है। श्री नरदत्ता देवी की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर ज्येष्ठ शुक्ला 5 का लेख है । श्री भैरव की श्याम पाषाण की 13" ऊँची प्राचीन प्रतिमा है । इस पर लेख नहीं हैं। श्री क्षेत्रपाल की 7" ऊँची प्रतिमा है, मालीपन्ना का प्रयोग होता है। वार्षिक ध्वजा ज्येष्ठ शुक्ला 5 को चढ़ाई जाती है । मंदिर की देखरेख समाज की ओर से श्री चम्पालाल जी मारवाड़ी व श्री पाल जी सेठ द्वारा की जाती है । सम्पर्क सूत्र : Jain Education International : फोन 01476-230008, 9414732940 'इस जगत में किसी भी जीव ने मोक्ष में जाने तक कोई कार्य जानबूझकर नहीं किया है।' यह एक ही वाक्य समझ लीजिए न ! at Personal & Private Use Only 120 www.jainellary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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