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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
उत्थापित चल प्रतिमाएँ व यंत्र: ___ 1. श्री शांतिनाथ भगवान की चतुर्विंशति 12" ऊँची प्रतिमा है। इस पर
दिनांक 15.11.08 का लेख है। श्री वासुपूज्य भगवान की 6" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 1542 वैशाख वदि 11 का लेख है। श्री जिनेश्वर भगवान की 3" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1586 का लेख है। श्री पार्श्वनाथ भगवान की 2.7" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 4.5" का है। इस पर संवत् 2053 माघ सुदि 11 का लेख है। श्री अष्टमंगल यंत्र 5" x 3' का है। इस पर संवत् 2064 का लेख है।
वेदी के बीच प्रासाद देवी स्थापित है। दोनों ओर आलिओं में: 1. श्री शांतिनाथ भगवान की श्याम पाषाण की 21" ऊँची प्राचीन प्रतिमा है।
इस पर कोई लेख नहीं है। 2. 24 तीर्थकर की कृति प्राचीन पट्ट श्वेत पाषाण का है। मंदिर से बाहर निकलने पर आलिओं में :
श्री गौमुख यक्ष की श्याम पाषाण की10" ऊँची प्रतिमा है। 2. श्री चक्रेश्वरी देवी की श्याम पाषाण की 10" ऊँची प्रतिमा है। 3. श्री माणिभद्र की श्याम पाषाण की 10" ऊँची प्रतिमा है।
श्री क्षेत्रपाल की 12" ऊँची प्रतिमा है।
इन सभी प्रतिमाओं पर संवत् 2053 का लेख है। मंदिर शिखर के तीनों ओर तीन मंगल मूर्ति स्थापित है। वार्षिकध्वजावैशाख वदि 11 को चढ़ाई जाती है। मंदिर की तीन दुकाने हैं जो समाज के सदस्यों के पास किराये पर है।
इस मंदिर की देखरेख समाज की ओर से श्रीकन्हैयालालजीपारसमलजीसहलोत करते हैं।
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