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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
बाहर सभामण्डप में:
श्री गौमुख यक्ष की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा हैं। इस पर संवत्
2046 वै.शु. 6 का लेख है। 2. श्री चक्रेश्वरी देवी की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत्
2046 का लेख है। सभामण्डप में दोनों ओर गिरनार तीर्थ के चित्रपट्ट है।
प्रथम मंजिल में शंखेश्वर पार्श्वनाथ का मंदिर स्थापित है। मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित हैं : 1. श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 23" ऊँची प्रतिमा
है। इस पर सं. 2045 वै.सु. 5 का लेख है। 2. श्री शांतिनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 19" ऊँची
प्रतिमा है। इस पर सं. 2041 वै.सु. 5 का लेख है। 3. श्री वासुपूज्य भगवान की की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 17"
ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 2041 का लेख है। वेदी के बीच प्रासाद देवी की श्वेत पाषाण की 6" ऊँची प्रतिमा स्थापित है।
बाहर:
1. श्री माणिभद्र की श्वेत पाषाण की 14" ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 2041 वै.
सु.6 का लेख है। 2. श्री नाकोड़ा भैरव की पीत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई
लेख नहीं है । चक्षु नहीं है। पीछे उपाश्रय बना है। बाजार में धर्मशाला, भोजनशाला है। समाज की ओर से मंदिर की देखरेख श्रीरतनलालजीनवलखा करते हैं। वार्षिकध्वजा वैशाख सुदी 6 कोचढ़ाईजाती है।
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