________________
मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
2. श्री शांतिनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 13" ऊँची
प्रतिमा है। इस पर सं. 2056 का लेख है। श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 19" ऊँची
प्रतिमा है। श्री जितेन्द्रसूरि जी द्वारा प्रतिष्ठित का लेख है। वेदी की दीवार के बीच आलिए में प्रासाद देवी की 6" ऊँची प्रतिमा स्थापित है।
आगे – श्री सुमतिनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 11" ऊँची पूर्वामुखी प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। मूलवेदी के दाई ओरवेदी परः 1. श्री विमलनाथ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 23" ऊँची प्रतिमा
है। इस पर श्री जितेन्द्रसूरिजी द्वारा प्रतिष्ठित का लेख है। 2. श्री सम्भवनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 11" ऊँची
प्रतिमा है। 3. श्री कुंथुनाथ भगवान की
(मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। इस पर
सं. 2056 का लेख है। वेदी की दीवार के बीच आलिए में प्रासाद देवी की श्वेत पाषाण की 6" ऊँची प्रतिमा है। ____ आगे – श्री चन्द्रप्रभ भगवान की श्वेत पाषाण की 10" ऊँची पश्चिमोंमुखी प्रतिमा स्थापित है। बाहर - सभामण्डप (बरामदा) में अलग-अलग आलिओं में :
श्री गौमुख यक्ष की श्वेत पाषाण की 14" ऊँची प्रतिमा है। 2. श्री नाकोड़ा भैरव की पीत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। 3. इसी आलिए में श्री नाकोड़ा भैरव की धातु की 7" ऊँची उत्थापित प्रतिमा
Jain
on International
For Persore 103) Use Only
www.jainelibrary.org