________________
2.
Jain Edation International
श्री पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर - घोसुण्डा
उत्थापित धातु की प्रतिमाएं :
1
यह शिखरबंद मंदिर चित्तौड़गढ़ से 20 किलोमीटर दूर ग्राम के मध्य में स्थित है। यहाँ | रेल्वे स्टेशन है। यह ग्राम 2000 वर्ष प्राचीन है नान और मंदिर 700 वर्ष प्राचीन बतलाते हैं। प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख के आधार पर भी सही प्रतीत होता है। बाहर की ओर स्वागत करते हुए दो हाथी बने हैं । पूर्व में ग्राम में 200 जैन परिवार थे अब केवल तीन परिवार रहते हैं ।
टेन्ट ह
इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित है: श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक ) श्याम पाषाण की
19" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1717 शाके 1582 पोष सुदि 13 का
लेख महाराजा करणसिंह जी
के राज्यकाल का है।
श्री पार्श्वनाथ भगवान की 6" ऊँची प्रतिमा है। यह प्रतिमा पूर्व में उपाश्रय में थी । इसके नीचे संवत् 1335 का लेख है ।
मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री पार्श्वनाथ भगवान की 3" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1570 का लेख है।
1.
For Personer & Private Use Only
51
www.jainelibrary.org