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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्रीवामन
'श्री आदिनाथ भगवान का मंदिर, बानसेन यह शिखरबंद मंदिर चित्तौड़गढ़ से 25 किलोमीटर दूर ग्राम के बीच में स्थित है। इसका नजदीक का रेल्वे स्टेशन चित्तौड़गढ़ है। इसका प्राचीन नाम वनोण भी कहा जाता है। उल्लेखानुसार इस मंदिर का निर्माण स. 1100 का है लेकिन प्रत्यक्ष रूप से ऐसा प्रमाण उपलब्ध नहीं हुआ।ग्राम के सदस्य भी 1000 वर्ष प्राचीन बताते हैं। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित है। 1. श्री आदिनाथ भगवान की
(मूलनायक) श्याम पाषाण की 27" ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 1980 शाके 1845 का लेख है। श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएँ) श्वेत
पाषाण की 10" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। 3. श्री चन्द्रप्रभ भगवान की (मूलनायक के बाएँ) श्याम पाषाण की 9" ऊँची
प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। उत्थापित धातु की प्रतिमाएं व यंत्र 1. श्री महावीर भगवान की 8.5" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर सं. 2043 का
लेख है। 2. श्री मुनिसुव्रत भगवान की 7" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर सं. 1513 का
लेख है। 3. श्री शीतलनाथ भगवान की 7.5" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर सं. 1513
का लेख है। 4. श्री मुनिसुव्रत भगवान की 7" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर सं. 1562 का
लेख है।
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