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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
धातु की: 1. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 3'' ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। 2. श्री जिनेश्वर भगवान की 6" ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 1593 ज्येष्ठ वदि 3
का लेख है। 3. श्री सम्भवनाथ भगवान की 9" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत्
2045 वैशाख सुदि 5 का लेख हैं। 4. श्री नेमिनाथ भगवान की 9" ऊँची प्रतिमा है। यह आचार्य जितेन्द्रसूरि जी
द्वारा प्रतिष्ठित है। 5. श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 4.5" का है। इस पर सं. 2044 का लेख है। 6. श्री अष्टमंगल यंत्र 6'' x 3.5'' का है। इस पर सं. 2045 वैशाख सुदि 5 का
लेख है। 7. श्री अष्टमंगल यंत्र 5" x 2.5'' का है। इस पर संवत् 2054 माघ सुदि 13 का
लेख है। वेदी की दीवार के बीच प्रासाददेवी स्थापित है। आलिओं में दाहिनी ओर: 1. श्री त्रिमुख यक्ष की श्वेत पाषाण की 10'' ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2055
का लेख हैं। बाई ओर: 1. श्री दुरितारी यक्षिणी की श्वेत पाषाण की 10'' ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत्
2055 का लेख है। ___ आलिए में – गुरू पादुका 12"x 8' के पट्ट पर स्थापित है। इस पर अस्पष्ट लेख है। श्री माणिभद्र की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। मंदिर में प्रवेश करते समय बाईं ओर आलिए में – श्री रत्नप्रभ सूरि की श्वेत पाषाण की 13'' ऊँची प्रतिमा है।
वार्षिकध्वजामगसर सुदि 10 को चढ़ाई जाती है।
मंदिर की देखरेख समाज की ओर से श्रीचन्द्रसिंह जी कोठारीद्वारा स्थानीय स्तर पर श्रीनरपत जीकोठारीद्वारा की जाती है।
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