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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
____7. श्री नमिनाथ भगवान की चर्तुविशति 11' ऊँची प्रतिमा हैं। इस पर संवत्
1593 ज्येष्ठ सूदि 3 गुरूवार का लेख हैं। 8. श्री सिद्धचक्र यंत्र 6" का गोलाकार है। इस पर माघ सुदि 5 का लेख है।
रेल्वे स्टेशन के पास जैन गुरूकूल है, जैन धर्मशाला है, भोजनशाला है। इसके पीछे जमीन है। इसकी देखरेख गुरूकूल के सदस्य द्वारा की जाती है।
गुरूकुल की स्थापना सन् 1945 में आचार्य श्री नीतिसुरीश्वर जी म.सा. के सदुपदेश से की गई। पूर्व में यह गुरूकुल किराये के भवन में संचालित रहा तत्पश्चात् वर्तमान भवन जो सहयोग द्वारा निर्मित है उसमें संचालित है। श्री नीतिसुरीश्वर जी म. सा. चित्तौड़ जिर्णोद्धारक एवं समाज सुधारक थे ।
समाज की ओर से सम्पर्कसूत्र-श्रीहीरालालजीदोशी, फोन 01472-241018
कुदरत का नियम ऐसा है कि प्रत्येक
को अपनी जरूरत के अनुसार सुख मिल ही जाता है। जिसने जो ‘टेन्डर'
भरा है, वह पूरा होता ही है।
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