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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री चन्द्रप्रभ भगवान का मंदिर, घटियावली
यह पाटबंद मंदिर चित्तौड़गढ़ से 15 किलोमीटर दर ग्राम के मध्य में स्थित है। यह मंदिर 100 वर्ष से अधिक प्राचीन है। यह तृतीय श्रेणी का ठिकाना रहा है। यहां के वंशज शक्तावत रहे हैं। चित्तौड़ पर मुगल आकमण के समय यहां के लोगों ने बलिदान दिये हैं, जिसके लिए इतिहास में यहां का नाम ऊपर हैं।
इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित है : 1. श्री चन्द्रप्रभ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा है।
इस पर संवत् 1962 पोष वदि 3 का लेख है। श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा
3.
श्री नेमिनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 11' ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1962 पोष वदि 3 वृहस्पतिवार का लेख
श्री श्रेयांसनाथ भगवान की 3.5" ऊँची धातु की प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है।
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