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उक्कसपरिमाणपरूवणा
संखेज्जा | ओरालियम ० -- कम्मइ० अणाहार० देवगदि ०४ - तित्थय० उक्क० अणु ० द्वि० बं० केत्ति० ? संखेज्जा ।
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४५३. रिए मणसायु० उ० अ० द्वि०० संखेज्जा | सेसाणं उक्क० अणु० के० ? असंखेज्जा । एवं सव्वणिरय - सव्वदेव० । एवरि सव्वहसि० सव्वपगदी उ० अ० द्वि०० केत्ति ? संखेज्जा ।
४५४. पंचिंदियतिरिक्ख ०३ तिणिआयु० उ० द्वि० बं० केत्ति ०? संखेज्जा । अणु०द्वि०० केत्ति ? असंखेज्जा | सेसाणं पगदी उ० अणु० द्वि०० केत्तिया ? असं खज्जा | पंचिदियतिरिक्खापज्जत्त० मणुसायु० उ० हि०ब० केत्ति ०१ संखेंज्जा । ऋणु० - हि०० केत्ति० ? असंखेज्जा | सेसाणं उ० अणु० द्वि० बं० केत्ति० ? संखेज्जा । एवं मणुस अपज्जत्त - सव्वत्रिगलिंदिय० चदुरहं कायारणं वादरवणफदिपत्तेय० ।
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४५५. मणुसे दो यु० - वेडव्वियछ० - आहार ०२ - तित्थय० उ० अ० द्वि०बं० के० ? संखेज्जा | सेसारणं उ० द्वि०बं० के० ? संखेज्जा । अणु० द्वि० ० केत्तिया ? असंखज्जा | मणुसपज्जत - मणुसिणीसु सव्वाणं पगदीगं दो पदा संखेज्जा ।
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४५६. एइंदिय--वरणप्फदि - - रिणयोदेसु तिरिक्खायु० उक्क० असंखेज्जा । अणु०
तीर्थंकर प्रकृतिको उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थिति के बन्धक जीव संख्यात हैं । श्रदारिक मिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी और अनाहारक जीवों में देवगति चतुष्क और तीर्थकर प्रकृतिकी उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । ४५३. नारकियोंमें मनुष्यायुकी उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव संख्यात हैं । शेष प्रकृतियों की उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । इसी प्रकार सब नारकी और सब देवोंके जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि सर्वार्थसिद्धिमें सब प्रकृतियों की उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ! संख्यात हैं । ४५४. पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चत्रिक में तीन आयुओं की उत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । अनुत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ? श्रसंख्यात हैं। शेष प्रकृतियों के उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्च अपर्याप्त जीवों में मनुष्यायुकी उत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । अनुत्कृष्ट स्थिति बन्धक जीव कितने हैं ? श्रसंख्यात हैं। शेष प्रकृतियोंके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थिति बन्धक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । इसी प्रकार मनुष्य अपर्याप्त, सब विकलेन्द्रिय, चार स्थावर काय और बादर वनस्पति कायिक प्रत्येक शरीर जीवोंके जानना चाहिए |
४५५. मनुष्यों में दो आयु, वैक्रियिक छह, आहारक द्विक और तीर्थङ्कर प्रकृतिकी उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । शेष प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । अनुत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। मनुष्यपर्याप्त और मनुष्यिनी जीवोंमें सब प्रकृतियोंके दो पदवाले जीव संख्यात हैं ।
४५६. एकेन्द्रिय, वनस्पतिकायिक और निगोद जीवों में तिर्यञ्च्चायुकी उत्कृष्ट स्थिति के बन्धक जीव श्रसंख्यात हैं । श्रनुत्कृष्ट स्थितिके बन्धक जीव अनन्त हैं। मनुष्यायुकी
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