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भजगारबंधे सामित्तागमो
संज ०-भय- दुगुं ० -तेजा० - क ० - वण्ण ०४ - अगु० -उप० णिमि० पंचंत०
भुजगा० - अप्पद ०दबंध कस्स १ अण्णदरस्स । अवत्तव्वबंधो कस्स ? अण्णदरस्स उवसमगस्स परिमाणस्स मणुसस्स वा मणुसिणीए वा पढमसमए देवस्स वा । थीण गिद्धि० ३- अणंताणुबंधि०४ भुज ० - अप्पद ० - अवडि० कस्स १ अण्णद० । अवत० कस्स १ संजमादो संजमासंजमादो सम्मत्तादो सम्मामिच्छत्तादो वा परिवदमाणस्स पढमसमयमिच्छादिट्ठिस्स वा सासणसम्मदिट्ठस्स वा । मिच्छत्त० भुज० अप्प ० अवट्ठि ० कस्स : अण्णदरस्स । अवत्तव्व० कस्स ! अण्णद० संजमादो वा संजमासंज० समत्त० सम्मामि० सासण० वा परिवदमाणस्स पढमसमयमिच्छादिट्ठिस्स । अप्पचक्खाणा०४ तिण्णि पद० कस्स १ अण्णद ० | अवत्त • कस्स ० १ संजमादो वा संजमासंज० परिवदमाणस्स पढमसमय-मिच्छादिट्ठ० सासण० सम्मा मि० असंजद सं० । पच्चक्खाणा ०४ भुज० अप्पद ० - अवट्टि ० कस्स ० ? अण्ण० | अवत्त ० कस्स ० १ अण्णद० संजमादो परिवदमाण ० पढमसमय-मिच्छादि० सासण० सम्मामि० असंजदसं० संजदासंजद० । चदुण्णं आयुगाणं अवत्त० कस्स० ? अण्ण० पढमसमय- आयुगबंध ० । तेण परं अप्पदरबं० । आहार० - आहार० अंगो० पर ० - उस्सास ०आदाउजो० - तित्थय० तिष्णिपद० कस्स० ? अण्ण० । अवत्तव्व० कस्स० ? अण्ण० पढम
पाँच ज्ञानावरण, छह दर्शनावरण, चार संज्वलन, भय, जुगुप्सा, तैजस शरीर, कार्मणशरीर, वर्ण चतुष्क, अगुरुलघु, उपघात, निर्माण और पाँच अन्तराय इनके भुजगार, अल्पतर और अवस्थित बन्धकका स्वामी कौन है ? अन्यतर जीव उनका स्वामी है । अवक्तव्यबन्धका स्वामी कौन है ? अन्यतर गिरनेवाला उपशामक मनुष्य और मनुष्यनी या प्रथम समयवर्ती देव वक्तव्यबन्धका स्वामी है । स्त्यानगृद्धि तीन, अनन्तानुबन्धी चारके भुजगार, अल्पतर और अवस्थितबन्धका स्वामी कौन है ? अन्यतर जीव उनका स्वामी है । अवक्तव्यबन्धका स्वामी कौन है ? संयमसे, संयमासंयमसे, संम्यक्त्व से और सम्यग्मिथ्यात्वसे गिरनेवाला प्रथम समयवर्ती मिध्यादृष्टि या सासादन सम्यग्दृष्टि जीव श्रवक्तव्यबन्धका स्वामी है । मिथ्यात्वके भुजगार, अल्पतर और अवस्थितबन्धका स्वामी कौन है ? अन्यतर जीव उक्त बन्धका स्वामी है । अवक्तव्यबन्धका स्वामी कौन है ? संयमसे संयमासंयम से, सम्यक्त्वसे, सम्यग्मिथ्यात्वसे या सासादनसम्यक्त्वसे गिरनेवाला प्रथम समयवाला मिथ्यादृष्टि जीव वक्तव्यबन्धका स्वामी है । अप्रत्याख्यानावरण चारके तीन पदोंका स्वामी कौन है ? अन्यतर जीव उक्त पदोंका स्वामी है । अवक्तव्यबन्धका स्वामी कौन है ? संयमसे या संयमासंयमसे गिरनेवाला प्रथम समयवर्ती मिध्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिध्यादृष्टि और
संयत सम्यग्दृष्टि जीव अवक्तव्य पदका स्वामी है । प्रत्याख्यानावरण चारके भुजगार, अल्पतर और अवस्थितबन्धका स्वामी कौन है ? अन्यतर जीव उक्त बन्धका स्वामी है । अवक्तव्यबन्धका स्वामी कौन है ? संयमसे गिरनेवाला प्रथम समयवर्ती मिध्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिध्यादृष्टि, असंयत सम्यग्दृष्टि और संयतासंयत अन्यतर जीव अवक्तव्यबन्धका स्वामी है । चार आयुओं के अवक्तव्यवन्धका स्वामी कौन है ? प्रथम समयवर्ती आयुकर्मका बन्ध करनेवाला अन्यतर जीव अवक्तव्यबन्धका स्वामी है। इससे आगे वह अल्पतर बन्धका स्वामी है । आहारक शरीर, आहारक आङ्गोपाङ्ग, परघात, उच्छ्रास, आतप, उद्योत और तीर्थङ्कर प्रकृतिके तीन पदोंका स्वामी कौन है ? अन्यतर जीव उक्त पदोंका स्वामी है । अवक्तव्य पदका स्वामी कौन है ? प्रथम समय में
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