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आपके प्रेरणास्पद भाषण एवं आपकी धार्मिक रचनायें एक अमूल्य धरोहर हैं जो आनेवाली पीढ़ियों को आगमज्ञानमें सदैव उदबोधित करती रहेंगी। आजके समयमें जबकि पांडित्य अर्जन करने की ओर से लोगों की रुचि कम होती जा रही है, आपके अनेक विद्वान डाक्टरेट करके समाज को दिशा दे
हमारे तो आपसे अम्बाले से ही पारिवारिक सम्बन्ध हैं। जब कभी आप देहली आते हैं, बिना हमें आशीर्वाद दिये नहीं जाते । जिससे एक बार सम्पर्क बना लेते हैं, जीवन भर निर्वाह करते हैं । आपका साधनामय, ज्ञाननिष्ठ जीवन एक संतके जीवनसे कम नहीं है। इन्हीं शब्दोंके साथ मैं यही भावना भाता हैं कि उनका वरदहस्त हम लोगोंके सिर पर चिरकाल तक बना रहे। ।
आदराञ्जलि
महताबसिंह जैन, पानदरीबा, दिल्ली पं० केलाशचन्द्रजी शास्त्रीसे मेरा सर्वप्रथम परिचय १९४४ में हुआ था जब मुझे दिल्ली की जैन समाजके जैन मित्र मण्डलका प्रधानमंत्री नियक्त किया गया था। उस समय सामाजिक लोगोंमें चुनाव की प्रथा नहीं थी बल्कि समाजके कुछ प्रमुख लोग किसी अच्छे व्यक्तिको आग्रहसे किसी पदपर नियुक्त करते थे। मैंने भगवान महावीर जयन्ती पर पंडितजीको आमंत्रित किया था। उनके प्रवचनों तथा उपदेशोंसे यह दढ विश्वास हआ कि असलियत में ही पण्डितजी सरस्वती ( माता का नाम तथा जिनवाणी ) के पुत्र हैं। इन्होंने सारी उम्र जिनवाणी की सेवामें बितायी है और आज ७७ वर्षकी अवस्थामें भी वे उसकी सेवा में व्यस्त हैं।
स्याद्वाद महाविद्यालय का इतना भारी कार्य करते हुए भी आपने अनेक ग्रन्थ लिखे एवं सम्पादित
आपकी केवल एक पस्तक जैनधर्म ही आपका नाम अमर करनेको पर्याप्त है। इसपर आप पुरस्कारके विजेता हैं।
आप प्रकृतिसे सादा, सौम्य और सरल स्वभावके हैं, बुद्धिके कुशाग्र हैं और कुशल वक्ता हैं । धर्मकी धारा आप जैसे सुहृद् साधु विद्वानोंके कारण ही अविच्छिन्न रूपसे बहती है। आपकी वक्तृत्व शैली अति सरल और आकर्षक है। जनता मंत्रमग्ध होकर आपको सुनती है। आपके कई शिष्य ऊँचे पदोंपर कार्य कर रहे हैं। आपको अनेक स्थानोंसे बहत-सी पदवियों से सम्मानित किया गया है। जिनेन्द्र देवसे प्रार्थना है कि आप चिरजीवी होकर समाज और धर्मकी सेवामें जीवनपर्यन्त तत्पर रहें।
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शारदा का निडर सपूत
नीरज जैन, एम० ए०, सतना शास्त्राभ्यासी बन जाना एक प्रयत्नसाध्य कार्य है। उस अजित ज्ञानका प्रसाद निरपेक्षभावसे दूसरों को बाँटने वाला प्रणम्य है। जिन-शासनकी प्रभावनाके लिये उस ज्ञानका उपयोग करने वाला
दनीय है। सिद्धान्ताचार्य श्रीमान पंडित कैलाशचन्द्रजी शास्त्रीका सहज सादगी भरा व्यक्तित्व इन तीनों ही महिमाओंसे मण्डित हैं। उनके अभिनन्दन के अवसर पर अपने श्रद्धा पुष्प समर्पित करके हम स्वतः अपने आप को गौरवान्वित अनुभव करते हैं ।
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