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१२. ६ फरवरी ५६ १३. १२ दिसम्बर ५७ १४.
७ नवम्बर ५७ १५-६ ६ जून ५८ १७-८ २० जून ५६ १९. ३१ जुलाई ५६
७ अगस्त ५६ २५ दिसम्बर ५८ ९ जून ६० ९ जुलाई ६० ६ अक्टूवर ६० १३ अक्टूबर ६० २९ दिसम्बर ६० १२ जनवरी ६१
२ फरवरी ६१ १५ जून ५६
२१ जून ५६ ३१. १५ मार्च ५६
२१ अक्टूबर ६२ २७ सितम्बर ६२ २८ फरवरी ६३ ३० मार्च ६३ १६ मई ६३ २० जून ६३ १ अगस्त ६३
७ नवम्बर ६३ ४०. ९ अप्रैल ६४
२१ मई ६४ ४२-४४. २८ मई ६४ ४५. २ जुलाई ६४ ४६-४८. १६ जुलाई ६१ ४९. २० अगस्त ६४
१९ सितम्बर ६४ ५१. २२ अक्टूबर ६४ ५२. २१ जनवरी ६५
५ फरवरी ६५
पं० मक्खनलालजीके आरोपोंका उत्तर सोनगढ़ चर्चा जैनतत्त्वज्ञान प्रगति क्या कुदेवपूजा शास्त्रविहित है ? १, २, जिनभक्तिका माहात्म्य १, २, देव और कुदेव पूजा और भक्ति वीतरागशासनमें भेदका कारण श्रद्धा बनाम विवेक त्यागधमके पथिकोंसे वैराग्य या अनुराग पथभ्रष्ट मुनिवेशियों के सम्बन्ध में आचार्य पद आ० कुन्दकुन्द का आम्नाय मूर्तिपूजक होना गर्व की वस्तु धार्मिक सिद्धान्त और विज्ञान ( ज्ञानविज्ञान एकेडेमी ) धार्मिक प्रवचनोंकी बाढ़ सिद्धान्त और आचरण निश्चय और व्यवहार निश्चयनय और व्यवहार निश्चय और व्यवहार अध्यात्म पर जोर सैद्धान्तिक चर्चा जैन ग्रन्थकारोंकी प्रामाणिकताएँ क्या टोडरमलजी अप्रमाण पुरुष थे ? सर्वज्ञ की चर्चा क्यों? पंथभेदजन्य अशान्तिको दूर करनेका उपाय पन्थभेदजन्य अशान्ति पर निश्चय और व्यवहार १, २, ३ क्या द्रव्यलिंगी और भालिंगीको पहिचान अशक्य है ? जिनशासनमें सर्वत्र भावका महत्व है ? १, २, ३ द्र व्यलिंगी और भावलिंगीकी पहचानके सम्बन्धमें कषाय और धर्म चारों अनुयोगोंके शास्त्र पठनीय है सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टिकी पहिचान क्या रत्नत्रय मोक्षका परम्परा कारण है ?
४१.
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