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महावीरने अभ्यासके लिये एक उदाहरण दिया है :
क्षेत्रस्य आयतवृत्तस्य विष्कम्भो द्वादशैव तु ।
आयामस्तत्र षट्त्रिंशत् परिधिः कः फलं च किम् ॥ ( ग० सा० सं०, ७१२२)
अर्थात् यदि एक आयत वृत्तका विष्कम्भ (छोटा व्यास) १२ और आयाम ( बड़ा व्यास ) ३६ है, तो उसकी परिधि और क्षेत्रफल बताओ ।
परिधि = / 6b2 + 4a2
=
√ 6 × 12 × 12 + 4 × 36 × 36 = √36 × 24 + 4 x 36x36
= 6 × 2 √6 + 36
= 12/42 12 x 6.48 = 77,76
=
क्षेत्रफल = b/4 x 12/42 = 3 x 12/42
= 36 × 6.43 = 233.28
महावीरने आयतवृत्तोंकी परिधि और क्षेत्रफल निकालनेकी एक स्थूल या व्यावहारिक विधि भी
दी हैं :
व्यासार्धतो द्विगुणित आयतवृत्तस्य परिधिरायामः । विष्कम्भचतुर्भागः परिवेषहतो
भवेत्सारम् || (ग० सा० सं०, ७।२१)
अर्थात् बड़े व्यास में छोटे व्यासका आधा जोड़ो और इसे दोसे गुणा करो। ऐसा करनेसे आयतवृत्तकी परिधि मिलेगी । इस परिधिको छोटे व्यास (विष्कम्भ ) के चौथाई मानसे गुणा करो, तो क्षेत्रफल मिलेगा । परिधि = 2 (a + b / 2 )
क्षेत्रफल = b/4 x 2 (a + b / 2)
ऊपरके उदाहरणमें, a = 36, b = 12, फलतः
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परिधि = 2 ( 36 × 12/2) = 2 × 42 = 84
क्षेत्रफल = 3 x 84 = 252
उत्तर स्थूल अर्थात् त्रुटिपूर्ण हैं; सूक्ष्ममानमें परिधि 77.76 और क्षेत्रफल 233.28 है ।
कम्बुक क्षेत्र (conchiform ) की परिधि और क्षेत्रफल निकालना - इन क्षेत्रोंके सम्बन्धमें भी महावीरने स्थूल और सूक्ष्म मानों के निकालनेके पृथक्-पृथक् नियम दिये हैं ।
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चित्र ४. कम्बुकवृत्त
कम्बुकके समान वृत्त ( चित्र ४. ) की अधिकतम चौड़ाईमेंसे कम्बुकके मुखका आधा घटाओ और इसे फिर तीनसे गुणा करो। ऐसा करनेसे कम्बुक वृत्तकी परिधि मिलेगी । इस परिधिके आधेके वर्गका एक तिहाई लो और इसमें मुखके आयामके आधेके वर्गका ३/४ जोड़ो, तो कम्बुक वृत्तका क्षेत्रफल मिलेगा ।
वदनार्थोनो व्यासस्त्रिगुणः परिधिस्तु कम्बुकावृत्ते । वलयार्धं कृतित्र्यंशो
मुखार्धवर्गत्रिपादयुतः ।। (ग० सा० सं०,
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७।२३)
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