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पद्धति टीका, तु बलूसाचार्यने चूड़ामणि टीका, वप्पदेवने व्याख्याप्रज्ञप्ति और सुप्रसिद्ध तार्किक समन्तभद्रने संस्कृत टीका लिखी है ।
चतुर्थ अध्याय में अन्य कर्म साहित्यका वर्णन । छक्खंडागम, कसायपाहुड आदि मूल आगम ग्रन्थोंके अतिरिक्त कर्मविषयक अन्य प्राचीन साहित्य भी उपलब्ध है । यह साहित्य आगमानुसारी है और इसका रचनाकाल विक्रमकी पाँचवीं शताब्दीसे लेकर नवम शताब्दी तकका है । इस अध्याय में प्राचीन कर्म साहित्यका इतिहास प्रस्तुत है । यहाँपर कर्म प्रकृति, बृहत्कर्मप्रकृति, शतक चूर्णि सित्तरी, कर्मस्तव, प्राकृत पंचसंग्रह आदि ग्रन्थोंका विचार किया गया है ।
इस ग्रन्थ द्वितीय भाग रूप पंचम अध्यायमें उत्तरकालीन कर्मसाहित्यपर विचार किया गया है जो इस प्रकार है : लक्ष्मणसुत डड्ढा कृत पंचसंग्रह, अमितगतिकृत संस्कृतपंचसंग्रह, विक्रमकी ११वीं शताब्दीके दक्षिणके आचार्य नेमिचन्द्रकृत गोम्मट्टसार, ( दो भाग जीवकाण्ड तथा कर्मकाण्ड) तथा लब्धिसार क्षपणा सार, देवसेनकृत भावसंग्रह, गोविन्दाचार्य रचित कर्मस्तववृत्ति जिनवल्लभगणि रचित षड्शीति, देवेन्द्रसूरि रचित नवीन कर्मग्रन्थ (कर्म विषाक, कर्मस्तव, बन्धस्वामित्व, षडशीति और शतक), श्रुतमुनिकी रचनायें भावत्रिभंगी तथा आस्रवत्रिभंगी, पंचसंग्रहकी प्राकृत टीका, सिद्धान्तासार, सकल कीर्तिका कर्मविपाक आदि ।
जैन साहित्यका इतिहास द्वितीय भाग
इस ग्रन्थमें भूगोल, खगोल तथा द्रव्यानुयोग (अध्यात्म और तत्त्वार्थ) विषयक साहित्यका इतिहास है । इसे पाँच अध्यायोंमें विभक्त किया गया है । प्रथम अध्यायमें भूगोल- खगोल विषयक साहित्य, द्वितीय अध्याय में द्रव्यानुयोग ( अध्यात्म) विषयक मूल साहित्य, तृतीय अध्याय में अध्यात्म विषयक टीका साहित्य, चतुर्थ अध्यायमें तत्त्वार्थ विषयक मूल साहित्य तथा पंचम अध्यायमें तत्त्वार्थ विषयक टीका साहित्यका विस्तार के साथ वर्णन है ।
भूगोल- खगोल विषयक साहित्यमें तिलोयपण्णत्ति, सूर्यप्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति, ज्योतिष्करण्डक, बृहत्क्षेत्र समास, बृहत्संग्रणी, नेमिचन्द्रकृत त्रिलोकसार, माधवचन्द्र त्रैविद्यकृत त्रिलोकसार टीका, जम्बूदीप पण त्ति संग्रह, सिंहसूरिरचित संस्कृतलोकविभाग, तथा प्रवचनसारोद्वार का वर्णन है ।
द्रव्यानुयोग (अध्यात्म) विषयक साहित्य में आचार्य कुन्दकुन्द और उनकी रचनायें - दर्शनप्राभृत, चारित्रप्राभृत, सूत्रप्राभृत, बोधप्राभृत, रयणसार, बारह अणुवेक्खा समयसार, प्रवचनसार, पञ्चास्तिकाय और नियमसार, पूज्यपाद देवनन्दि और उनकी रचनायें - इष्टोपदेश और समाधितंत्र, जो इन्दु योगोन्दु और उनकी रचनायें - परमात्मप्रकाश तथा योगसारका वर्णन है ।
अध्यात्मविषयक टीका साहित्यमें, टीकाकार अमृतचन्द्रसूरि और उनकी रचनाएँ - पुरुषार्थ सिद्धयुपाय, तत्त्वार्थसार, समयसार - टीका ( आत्मख्याति), प्रवचनसार - टीका ( तत्वदीपिका तथा पञ्चास्तिकाय टीका ( तत्वप्रदीपिका - वृत्ति), पद्मनन्दिकृत निश्चयपञ्चाशत्, टीकाकार जयसेन और कुन्दुकुन्दुके समयसार तथा पञ्चास्तिकायपर रचित उनकी टीकायें, प्रभाचन्द्रकृत समयसार टीका, टीकाकार पद्मप्रभ मलधारिदेव और कुन्दकुन्दके नियमसारपर उनकी टीका, आशाधरकी इष्टोपदेश टीका, टीकाकार ब्रह्मदेव और उनकी परमात्मप्रकाश - टीका तथा बृहद्दव्यसंग्रह टीका एवं अध्यात्मरसिक उपाध्याय यशोविजय तथा उनके अध्यात्मसार और अध्यात्मोपनिषद्का वर्णन ९ !
तत्त्वार्थविषयक मूल साहित्य में आचार्य कुन्दकुन्दके पञ्चास्तिकाय, प्रवचनसार तथा नियमसार एवं आचार्य गृद्धपिच्छ और उनके तत्त्वार्थसूत्रका वर्णन है ।
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