Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रथम प्रतिपत्ति - बेइन्द्रिय जीवों का वर्णन
..... . ...................... भिन्नता बताने के लिये ही 'ओराला तसा' शब्द का प्रयोग किया गया है। औदारिक त्रस के चार भेद इस प्रकार हैं -
. १. बेइन्द्रिय - जिन जीवों के स्पर्शनेन्द्रिय और रसनेन्द्रिय अर्थात् शरीर और मुख ये दो इन्द्रियां होती है उन्हें बेइन्द्रिय कहते हैं जैसे शंख, सीप, कोडी, लट, अलसिया, कृमि आदि।
२. तेइन्द्रिय - जिसके स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय अर्थात् शरीर, मुख और नाक ये तीन इन्द्रियाँ होती है उनको तेइन्द्रिय कहते हैं। जैसे जूं, लीख, खटमल, कुंथुआ आदि।
३. चउरिन्द्रिय - जिसके स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय और चक्षुइन्द्रिय अर्थात् शरीर, मुख, नाक और आंख ये चार इन्द्रियां होती है उनको चौइन्द्रिय कहते हैं। जैसे - मक्खी, डांस, मच्छर, । भंवरा, टिड्डी आदि।
४. पंचेन्द्रिय - जिसके स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, चक्षुइन्द्रिय और श्रोत्रेन्द्रिय अर्थात् . शरीर, मुख, नाक, आंख और कान ये पांचों इन्द्रियां होती हैं उनको पंचेन्द्रिय कहते हैं। जैसे - मनुष्य, नैरयिक, देव, हाथी, बैल, घोड़ा आदि।
__ बेइन्द्रिय जीवों का वर्णन से किं तं बेइंदिया?
बेइंदिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा - पुलाकिमिया जाव समुहलिक्खा जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासओ दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्ता य अपज्जत्ता य।
भावार्थ - बेइन्द्रिय जीवों का क्या स्वरूप है ? ... बेइन्द्रिय जीव अनेक प्रकार के कहे गये हैं, वे इस प्रकार हैं - पुलाकृमिक यावत् समुद्रलिक्षा, अन्य भी इसी प्रकार के जीव बेइन्द्रिय हैं। ये संक्षेप से दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - पर्याप्तक और अपर्याप्तक। . . . .
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में बेइन्द्रिय जीव अनेक प्रकार के कहे गये हैं। प्रज्ञापना सूत्र के अनुसार बेइन्द्रिय जीवों के भेद इस प्रकार हैं - १. पुलाकिमिया (पुलाकृमि)- मल द्वार में पैदा होने वाले कृमि (कीड़े) २..कुच्छिकिमिया (कुक्षि कृमि)- कुक्षि (उदर-पेट) में उत्पन्न होने वाले कृमि। ३. गण्डूलगा (गण्डोयलक)- गिंडोला। ४. गोलोमा (गोलोम)- गायों के रोम में उत्पन्न होने वाले कृमि।
५. नेउरा (नुपूर) ६. सोमगला (सौमंगल) ७. वंसीमुहा (वंशीमुख) ८. सुइमुहा (सूचिमुख) ९. गोजलोया (गोजलौका) १०. जलोया (जलौका-जाँक) ११. जलाउया (जालायुष्क)
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