Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
***BREDE
द्वितीय प्रतिपत्ति स्त्रियों की स्थिति
-
-
प्रश्न
कही गई है ?
उत्तर - हे गौतम! उरपरिसर्प स्थलचर तिर्यंच स्त्रियों की जघन्य स्थिति अंतर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की कही गई है। इसी प्रकार भुजपरिसर्पिणी की स्थिति भी समझना चाहिये। इसी प्रकार खेचर तिर्यंच स्त्रियों की स्थिति जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पल्योपम का असंख्यातवां भाग की कही गई है।
हे भगवन्! उरपरिसर्प स्थलचर तिर्यंचयोनिक स्त्री की स्थिति कितने काल की
जलचर
विवेचन - औधिक रूप से तिर्यंच स्त्रियों की जघन्य स्थिति अंतर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की कही गई है। यह उत्कृष्ट स्थिति देवकुरु आदि क्षेत्रों में चतुष्पद तिर्यंच स्त्री की अपेक्षा समझनी चाहिये। जघन्य स्थिति सबकी अंतर्मुहूर्त है जबकि उत्कृष्ट स्थिति इस प्रकार है स्त्रियों की उत्कृष्ट स्थिति पूर्वकोटि की स्थलचर स्त्रियों की तीन पल्योपम की, खेचर स्त्रियों की पल्योपम के असंख्यातवें भाग की, उरपरिसर्प तथा भुजपरिसर्प तिर्यंच स्त्रियों की उत्कृष्ट स्थिति पूर्वकोटि की है।
Jain Education International
मनुष्य स्त्रियों की स्थिति
मस्सित्थीणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
गोयमा ! खेत्तं पडुच्च जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णिपलिओवमाई, धम्मचरणं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी ।
कठिन शब्दार्थ - खेत्तं क्षेत्र की, पडुच्च अपेक्षा, धम्मचरणं धर्माचरण ( चारित्र धर्म) की, सूणा देशोन, पुव्वकोडी पूर्वकोटि (एक करोड़ पूर्व ) । ७० लाख ५६ हजार करोड़ (७०,५६,०००००००००० सत्तर, छप्पन और दस शून्य) वर्षों का एक पूर्व होता है ।
प्रश्न - हे भगवन् ! मनुष्य स्त्रियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उत्तर - हे गौतम! मनुष्य स्त्रियों की स्थिति क्षेत्र की अपेक्षा जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है और धर्माचरण ( चारित्र भाव ) की अपेक्षा से जघन्य अंतर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोन (कुछ कम) पूर्वकोटि की कही गई है।
विवेचन प्रस्तुत सूत्र में मनुष्य स्त्रियों की भवस्थिति दो प्रकार से कही गई है
• अपेक्षा से और २. धर्माचरण ( चारित्र धर्म) की अपेक्षा से ।
क्षेत्र की अपेक्षा मनुष्य स्त्रियों की जघन्य स्थिति अंतर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम की है। यह उत्कृष्ट स्थिति देवकुरु आदि क्षेत्र तथा भरत आदि क्षेत्र में सुषम आदि काल की अपेक्षा से समझनी चाहिये। धर्माचरण ( चारित्र धर्म) की अपेक्षा से मनुष्य स्त्रियों की जघन्य स्थिति अंतर्मुहूर्त्त
११७
For Personal & Private Use Only
-
-
-
१. क्षेत्र की
www.jainelibrary.org