Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 350
________________ तृतीय प्रतिपत्ति- मनुष्य उद्देशक - एकोरुक द्वीप में पशु आदि भावार्थ- प्रश्न हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में नटों का खेल होता है, नृत्यों का आयोजन होता है, डोरी पर खेलने वालों का खेल होता, कुश्तियां होती हैं, मुष्टि प्रहार आदि का प्रदर्शन होता है, विदूषकों, कथाकारों, उछलकूद करने वालों, शुभाशुभ फल कहने वालों, रास गाने वालों, बांस पर चढ कर नाचने वालों, चित्रफलक हाथ में लेकर मांगने वालों, तूणा बजाने वालों, वीणावादकों, कावड लेकर घूमने वालों और स्तुति पाठकों का मेला लगता है क्या ? उत्तर - यह अर्थ समर्थ नहीं है। हे आयुष्मन् श्रमण ! वे मनुष्य कौतुहल से रहित कहे गये हैं । एकोरुक द्वीप में वाहन अत्थि णं भंते! एगूरुयदीवे दीवे सगडाइ वा रहाइ वा जाणाइ वा जुग्गाइ वा गिल्लीइ वा थिल्लीइ वा पिपिल्लीइ वा पवहणाणि वा सिवियाइ वा संदमाणियाइ वा ? इट्ठे समट्ठे, पायचारविहारिणो णं ते मणुस्सगणा पण्णत्ता समणाउसो ! | कठिन शब्दार्थ - सगडाइ - शकट- गाडी, जाणाइ - यान (वाहन), जुग्गाइ - युग्य-गोल्ल देश प्रसिद्ध चतुष्कोण वेदिका वाली और दो पुरुषों द्वारा उठाई जाने वाली पालखी, गिल्लीइ - गिल्ली - हाथी के ऊपर रखा जाने वाला थाली के आकार का आसन, थिल्लीइथिल्ली-लाट देश में प्रसिद्ध यान, पवहणाणि - प्रवहण - जहाज, सिवियाइ - शिविका ( पालखी), संदमाणियाइ स्यन्दमानिका (छोटी पालखी), पायचारविहारिणो - पादचारविहारिणः-पैदल चलने वाले। - भावार्थ - प्रश्न हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में गाड़ी, रथ, यान, युग्य, गिल्ली, थिल्ली, पिपिल्ली, प्रवहण (नौकां - जहाज) शिविका और स्यंदमानिका आदि वाहन हैं क्या ? उत्तर - यह अर्थ समर्थ नहीं है। हे आयुष्मन् श्रमण ! वहां गाड़ी, रथ आदि वाहन नहीं हैं। वे मनुष्य पैदल चलने वाले होते हैं । ३३३ - एकोरुक द्वीप में पशु आदि अत्थि णं भंते! एगूरुयदीवे० आसाइ वा हत्थीइ वा उट्टाइ वा गोणाइ वा महिसाइ वा खराइ वा घोडाइ वा अयाइ वा एलाइ वा ? Jain Education International हंता अस्थि, णो चेवणं तेसिं मणुयाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में घोड़ा, हाथी, ऊंट, बैल, भैंस-भैंसा, गधा, टट्टु, बकरा-बकरी और भेड़ होते हैं क्या ? उत्तर - हाँ गौतम! होते तो हैं परन्तु उन मनुष्यों के उपभोग के लिए नहीं होते । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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