Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तृतीय प्रतिपत्ति - मनुष्य उद्देशक - एकोरुक में खाने आदि
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मंडल रोग, शिरोवेदना, आंख वेदना, कान वेदना, नाक वेदना, दांत वेदना, नख वेदना, खांसी, श्वास, ज्वर, दाह खुजली, दाद, कोढ, डमरुवातं, जलोदर, अर्श (बवासीर) अजीर्ण, भगंदर इन्द्रग्रह-इन्द्र के आवेश से होने वाला रोग, स्कंदग्रह-कार्तिकेय के आवेश से होने वाला रोग, कुमारग्रह, नागग्रह, यक्षग्रह, भूतग्रह, उद्वेग ग्रह, धनुग्रह, (धनुर्वात) एक दिन छोड़कर आने वाला (एकान्तर) ज्वर, दो दिन छोड़कर आने वाला ज्वर, तीन दिन छोड़कर आने वाला ज्वर, चार दिन छोड़कर आने वाला ज्वर, हृदयशूल, मस्तक शूल, पसलियों का दर्द, कुक्षिशूल, योनिशूल, ग्राममारी यावत् सन्निवेशमारी और इनसे होने वाला प्राणों का क्षय यावत् दुःख रूप उपद्रव आदि हैं क्या?
उत्तर - हे आयुष्मन् श्रमण! ये सब उपद्रव-रोगादि वहां नहीं हैं। वे मनुष्य सब तरह की व्याधियों से रहित होते हैं। .
एकोरुक द्वीप में जल के उपद्रव ___अत्थि णं भंते! एगूरुयदीवे दीवे अइवासाइ वा मंदवासाइ वा सुवुट्ठीइ वा । मंदवुट्ठीइ वा उदगवाहाइ वा उदगपवाहाइ वा दगुब्भेयाइ वा दगुप्पीलाइ वा गामवाहाइ वा जाव सण्णिवेसवाहाइ वा पाणक्खय० जाव वसणभूयमणारियाइ वा? ।
णो इणढे समढे, ववगयदगोवद्दणा णं ते मणुयगणा पण्णत्ता समणाउसो!।
कठिन शब्दार्थ - अइवासाइ - अति वृष्टि, सुवुट्ठीइ - सुवृष्टि, उदगवाहाइ - उदकवाह-तेजी से जल का बहना, उदगपवाहाई - उदक प्रवाह-जल का पूर आ जाये ऐसी वर्षा, दगुब्याइ - उदक भेदऊंचाई से जल गिरने से खड्डे पड़ जाना, दगुप्पीलाइ - उदक पीड़ा-जल का ऊपर उछलना, गाम वाहाइग्रामवाह-गांव को बहा ले जाने वाली वर्षा, ववगयदगोवद्दवा - जल के उपद्रवों से रहित।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एकोरुक द्वीप में अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि, सुवृष्टि, दुर्वृष्टि, उदकवाह, उदकप्रवाह, उदक भेद, उदक पीड़ा, गांव को बहा ले जाने वाली वर्षा यावत् सन्निवेश को बहा ले जाने वाली वर्षा और उससे होने वाला प्राणियों का क्षय यावत् दुःख रूप उपद्रव आदि होते हैं क्या?
उत्तर - हे आयुष्मन् श्रमण! ऐसा नहीं होता है। वे मनुष्य जल से होने वाले उपद्रवों से रहित होते हैं।
एकोरुक में खाने आदि अस्थि णं भंते! एगूरुयदीवे दीवे अयागराइ वा तम्बागराइ वा सीसागराइ वा सुवण्णागराइ वा रयणागराइ वा वइरागराइ वा वसुहाराइ वा हिरण्णवासाइ वा
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