Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 358
________________ तृतीय प्रतिपत्ति - मनुष्य उद्देशक - एकोरुक द्वीप के मनुष्यों का उपपात ३४१ उत्तर - हे गौतम! उक्त खान आदि और ऐसा धन वहां नहीं है। " एकोरुक द्वीप में मनुष्य स्थिति एगूरुयदीवे णं भंते! दीवे मणुयाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं असंखेज्जइभागेण ऊणगं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एकोरुक द्वीप में मनुष्यों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! एकोरुक द्वीप के मनुष्यों की स्थिति जघन्य असंख्यातवां भाग कम पल्योपम का असंख्यातवां भाग और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग की होती है। एकोरुक द्वीप के मनुष्यों का उपपात ते णं भंते! मणुया कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छंति कहिं उबवति? गोयमा! ते णं मणुया छम्मासावसेसाउया मिहुणयाइं पसवंति अठणासीइंराइंदियाई मिहुणाई सारक्खंति संगोविंति य, सारक्खित्ता संगोवित्ता उस्ससित्ता णिस्ससित्ता कासित्ता छीइत्ता अक्किट्ठा अव्वहिया अपरियाविया (पलिओवमस्स असंखिज्जइभागं परियाविय) सुहंसुहेणं कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्तारो भवंति, देवलोयपरिग्गहाणं ते मणुयगणा पण्णत्ता समणाउसो! .. कठिन शब्दर्थ - छम्मासावसेसाउया - छह माह की आयु शेष रहने पर, मिहुणई - मिथुनक-युगलिक को, पसवंति - जन्म देते हैं, सारक्खंति - संरक्षण करते हैं, संगोविंति - संगोपन करते हैं, अक्किट्ठा- बिना कष्ट के, अव्वहिया - बिना किसी दुःख के, अपरियाविया - अपरितापित-बिना किसी परिताप के। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! वे मनुष्य कालमास में-मृत्यु के समय में काल करके कहां जाते हैं, कहां उत्पन्न होते हैं? उत्तर - हे गौतम! वे मनुष्य छह माह की आयु शेष रहने पर एक युगलिक को जन्म देते हैं। उन्नयासी (७९) रात्रि दिन तक उसका संरक्षण और संगोपन करते हैं। संरक्षण और संगोपन करके उच्छ्वास लेकर या निश्वास लेकर या खांस कर या छींक कर बिना किसी कष्ट के, बिना किसी दुःख Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370