Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
के, बिना किसी परिताप के (पल्योपम का असंख्यातवां भाग आयुष्य भोग कर) सुखपूर्वक काल के समय काल करके किसी भी देवलोक में देवरूप में उत्पन्न होते हैं।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में एकोरुक द्वीप के मनुष्यों का विस्तृत वर्णन किया गया है। अब दक्षिण दिशा के मनुष्यों का वर्णन बताते हुए सूत्रकार कहते हैं -
. आभाषिक द्वीप के मनुष्य . .. कहि णं भंते! दाहिणिल्लाणं आभासियमणुस्साणं आभासियदीवे णामं दीवे पण्णत्ते?
गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणपुरच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ लवणसमुदं तिण्णि जोयण सेसं जहा एगूरुयाणं णिरवसेसं भाणियव्वं॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! दक्षिण दिशा के आभाषिक मनुष्यों का आभाषिक नाम का द्वीप कहां कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मेरु पर्वत के दक्षिण में चुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण पूर्व चरमांत से लवण समुद्र में तीन सौ योजन जाने पर वहां आभाषिक मनुष्यों का आभाषिक नामक द्वीप है। शेष सारा वर्णन एकोरुक द्वीप की तरह कह देना चाहिये।
नांगोलिक द्वीप के मनुष्य कहि णं भंते! दाहिणिल्लाणं णंगोलियमणुस्साणं पुच्छा, .
गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणपच्चथिमिल्लाओ चरिमंताओ लवणसमुहं तिण्णि जोयणसयाई सेसं जहा एगूरुयमणुस्साणं॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! दक्षिण दिशा के नांगोलिक मनुष्यों का नांगोलिक द्वीप कहां है?
उत्तर - हे गौतम! जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के दक्षिण में और चुल्लहिमवंत वर्षधर पर्वत के उत्तर पूर्व चरमांत से लवण समुद्र में तीन सौ योजन जाने पर वहां नांगोलिक मनुष्यों का नांगोलिक द्वीप है। शेष वर्णन एकोरुक द्वीप के अनुसार कह देना चाहिये।
वैषाणिक द्वीप के मनुष्य कहि णं भंते! दाहिणिल्लाणं वेसाणियमणुस्साणं पुच्छा,
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