Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
आभाषिक आदि. सात अन्तरद्वीप चुल्लहिमवंत पर्वत की छोटी जीवा (न्यूनतम लम्बाई) से । दक्षिण पूर्व विदिशा (नैऋत्य कोण) में परस्पर भी विदिशा में आये हुए हैं।
वैषाणिक आदि सात अन्तरद्वीप चुल्लहिमवंत पर्वत की छोटी जीवा से दक्षिण पश्चिम विदिशा (आग्नेय कोण) में परस्पर भी विदिशा में आये हुए हैं।
नांगोलिक (लांगूलिक) आदि सात अन्तरद्वीप चुल्लहिमवंत पर्वत की बड़ी जीवा से उत्तर पश्चिम (वायव्य कोण) में परस्पर भी विदिशा में आये हुए हैं। ___ इस प्रकार चारों विदिशाओं में क्रमशः सात-सात की चार पंक्तियों के रूप में २८ अन्तरद्वीप आये हुए हैं।
इसी प्रकार शिखरीपर्वत की चार विदिशाओं में भी सात-सात की चार पंक्तियों के रूप में २८ अन्तरद्वीप आये हुए हैं।
इनकी स्थापनाएं इस प्रकार हो सकती है तद्यथा -
OO0001
चुल्ल0 पर्वत की बड़ी जीव
0000000
चुल्ल पर्वत की छोटी जीवा
OO000
०००
चारों ही पंक्तियों में सात-सात अन्तर्वीप ही समझना चाहिये। क्रमशः आगे आगे के बड़े गोले समझने चाहिये।
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