Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 338
________________ तृतीय प्रतिपत्ति - मनुष्य उद्देशक - एकोरुक मनुष्य स्त्रियों का वर्णन ३२१ अच्चंत-विसप्पमाण पउमसूमालकुम्मसंठिय विसिट्ठचलणाओ उज्जुमउयपीवरणिरंतरपुट्ठसाहियंगुलीया उण्णयरइयतलिणंतंबसुइणिद्ध णक्खा रोमरहियवट्टलट्ठसंठिय अजहण्णपसत्थलक्खण अकोप्पजंघजुयला सुणिम्मिय सुगूढजाणु मंडल सुबद्धसंधी कयलिक्खंभाइरेग संठिय णिव्वणसुकुमालमउयकोमल अविरलसमसहिय सुजाय वट्ट पीवरणिरंतरोरु अट्ठावयवीईपट्ट संठिय पसत्थ विच्छिण्ण पिहुलसोणी वयणायामप्पमाणदुगुणिय विसालमंसल सुबद्ध जहणवर धारणीओ वज्जविराइयपसत्थलक्खण णिरोदरा तिवलिवलीय तणुणम्मियमज्झियाओ उज्जुयसमसहिय-जच्चतणुकसिण णिद्ध आदेजलडहसुविभत्त सुजाय कंत सोहंतरुइल रमणिज्ज रोमराई गंगावत्तपयाहिणावत्त तरंग भंगुररविकिरण तरुण बोहियअकोसायंतपउमवण गंभीर वियडणाभी अणुब्भडपसत्थपीणकुच्छी सण्णयपासा संगयपासा सुजायपासा मियमाइय पीणरइयपासा अकरंडुय कणगरुयगणिम्मलसुजाय णिरुवहयगायलट्ठी कंचणकलससमपमाणसमसहिय सुजायलट्ठ चूचुय. आमेलगजमलजुयल वट्टिय अब्भुण्णयरइयसंठिय पओहराओ भुयंगणुपुव्वतणुयगोपुच्छ-वट्टसम-सहियणमिय-आएग्जललियबाहाओ तंबणहा मंसलग्गहत्था पीवर-कोमलवरंगुलीओ णिद्धपाणिलेहा रविससिसंखचक्कसोत्थियसुविभत्तसुविरइय पाणिलेहा पीणुण्णयकक्खवविदेसा पडिपुण्णगलकवोला चउरंगुलसुप्पमाण कंबुवरसरिसगीवा मंसल संठिय पसत्वहणुया दाडिमपुष्फप्पगासपीवरकुंचियवराधरा सुंदरोत्तरोट्ठा दहिदगरयचंदकुंदवासंतिमउल अच्छिद्दविमलदसणा रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालतालुजीहा कणयरमुउलअकुडिल अन्भुग्गय उज्जुतुंगणासा सारयणवकमलकुमुय कुवलय विमुक्कदल णिगरसरिस लक्साण अंकिय कंतणयणा पत्तलचवलायंततंबलोयणाओ आणामिय-चावरुइल-किण्हब्भराइसंठिय संगय आययसुजाय तणुकसिण णिद्ध.भमुया अल्लीणपमाण-जुत्तसवणा (सुसवणा) पीणमट्टरमणिज्जगंडलेहा चउरंसपसत्थसमणिडाला कोमुइरयणियरविमल पडिपुण्ण सोमवयणा छत्तुण्णय उत्तिमंगा कुडिल सुसिणिद्धदीहसिरया छत्तज्झयजुगथूभदामिणि कमंडलुकलसवा-विसोत्थिय पडाग जवमच्छ कुम्मरहवर मगरसुयथाल अंकुसअट्ठावय वीइसपइट्ठग-मऊरसिरिदामा भिसेयतोरणमेइणिउदहिवरभवणगिरिवर आयंसललियगय उसभसीहचमर उत्तमपसत्थबत्तीस लक्खणधराओ हंससरिसगईओ कोइलमहुरगिर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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